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तुमको यकीन हो जाये

5 अप्रैल 2018

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तुम्हें अब भी यकीं नहीं मेरे समर्पण पर बताओ क्या अर्पण करूँ तुमको यकीन हो जाये । बिताये थे जो लम्हे साथ तुमको आज वो भूले बताओ क्या करूँ ? तुमको वो लम्हे याद आ जायें । तुम्हें तो सौंप दी है मैंने अपनी हर सांसें बताओ क्या करूँ ? कि फिर से सांसे वापस आ जायें । अब तो इस बात की उलझन है फिर कुछ खोने का तुम्ही बताओ इसे कैसे बचाया जाये । बताओ क्या करूँ ? तुमको यकीन हो जाये तुमको यकीन हो जाये ।। """""""""""""""""""""""" विजय कनौजिया 9818884701 """""""""""""""""""""'""

विजय कनौजिया की अन्य किताबें

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समर्पित

30 नवम्बर 2015
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सृष्टि समर्पित, दृष्टि समर्पित, प्रेम की सारी समष्टि समर्पित,भाव समर्पित, स्वभाव समर्पित, जीवन का सद्भाव समर्पित, सत्व समर्पित, तत्व समर्पित, मेरा हर प्रणिपत्व समर्पित, यदा समर्पित,तदा समर्पित, आपको सदा सर्वदा समर्पित शुभाशीष........शुभाकांक्षी......विजय कनौजिया

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मेरे सपनो की प्यारी अप्सरा

26 सितम्बर 2016
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मेरी कल्पना की अप्सरा """"""""""""""""""""" " चंद्रलोक की उज्ज्वल, स्वच्छ, चांदनी से स्नानकर चारु चंद्र की चंचल किरणों द्वारा, रजनीगंधा सी महकती, चहुँ ओर अपना अनुपम, अतुल्य अनमोल, अलौकिक, असीम, सौम्य, भव्य, सौंदर्य की छ्टा विखेरती, मन लुभाती मनमोहनी मूरत जैसे पृथ्वी लोक पर विचरण हेतु

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मन के भाव

18 मार्च 2017
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कितने मन के पहलू हैं,अनगिनत भाव के छंदों में,प्रतिविम्ब नहीं प्रतिद्वंद बढ़ा,प्रतिद्वंदी हैं हर राहों में,परिपक्व नहीं कोई खुद में,फिर भी इतराता भावों में,लहरों की लहराती जैसे,जलक्रीड़ा मानव जीवन में,सम्बन्ध भी अब बदलाव लिये,नीरसता के परिधानों में,न जाने फिर कब बदल जायं !जीवन की ये परिभाषा है,मन व्यथि

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तन्हाई वाले मौसम में

21 मार्च 2017
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हौले-हौले कानो में जब आहट कोई होती है,मंद-मंद मुस्कान भरी चेहरे की रंगत होती है,,चेहरों का नूरानी होना,मदमस्त गगन का हो जाना,,तुम पूरक मन के भावों का,आगन्तुक बन के आये हो,,मेरे मन के खालीपन को,तुम आज सजाने आये हो,,उन पायल के झंकारों से,झंकृत अब मेरा ह्रदय हुआ,,एहसास सुखद तुम लाये हो,तन्हाई वाले मौसम

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शुभकामना

1 अप्रैल 2017
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आपके जीवन पथ पर प्रसंन्ताओं की परंपरागत विविधिताओं का तारतम्य सदैव अपनी निखरता बनाये रखे, सरसता, मधुरता, सुंदरता, सम्पन्नता सदैव आपकी गृहणी बनकर रहे, जीवन का प्रत्येक पृष्ठ मार्गदर्शन से सिंचित होकर प्रेरणा के उर्वरक से पुष्टित होकर, आपके समीप्यजनो को आनंदित करे ।शुभत्व---विजय कनौजिया

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खुशियों का रंग

13 अप्रैल 2017
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मन को मत व्यथित करो इतना,सुख-दुःख तो आनी जानी है,,यूं ही कट जायेगा जीवन,जीवन की यही निशानी है,,जब मन में कोई चिंता हो !उपजाऊ मन के कोने में !तुम भूल उसे आगे बढ़ लो,जीवन की नई उमंगों में,,है जीवन का प्यारा हर क्षण,यूं व्यथित कभी न हुआ करो,जीवन की इस रंगोली में, खुशियों का रंग तुम भरा करो,,खुशियों का र

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रिश्तों के परिधानों में....

20 मई 2017
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हे मीत मेरे, मनमीत मेरे.....मेरे जीवन के हर पथ पर....तुम साथ मेरा देते रहना...मेरे गुनगुनाते होठों पर....संगीत सदा देते रहना.....होता है सहज सफर मेरा....जब साथ मेरे तुम होते हो...यूं सतत प्रक्रिया बनी रहे....संबंधों के परिधानों में...होता है जब एकाकी मन....तुम पूरक बनकर आते हो.....मेरे वीराने मन में

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मन की व्यथा

27 मई 2017
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मन जब व्यथा से उथल-पुथल हो...तुम अपना मन व्यथित न करना...जीवन की हर पगडंडी पर....सदा निरंतर चलते रहना....न जाने कब सुखद मोड़ वो...तुमको अपनी राह दिखाये...जिस चिंता से व्यथित हुये हो....उसका समाधान मिल जाये....जीवन की दैनिक प्रक्रिया...परिचर्चा का विषय बनाये....यूं ही न जाने मन मेरा.....एकाकी में क्यू

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चलो चलें साथी बन जायें

31 मई 2017
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"चलो चलें साथी बन जायें"चलो चलें साथी बन जायें....तुम और मैं घुल-मिल सा जायें....जीवन रुपी विस्तृत पथ पर....तुम पथ, मैं पथिक बन जायें....जीवन के इस नये सफ़र में....निश्चित एक गंतव्य बनायें....चलो चलें साथी बन जायें....तुम जो साथ मेरे हो जाओ....सफ़र सुगमता से कट जाये....पहले मीत बनो तुम मेरे....फिर प्य

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न जाने क्यूं नयना बरसे

2 जून 2017
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।। न जाने क्यूं नयना बरसे ।।स्नेह से पुलकित मन हरसे....न जाने कब सावन बरसे....मिलने को आतुर मन तरसे....न जाने क्यूं नयना बरसे....।एहसास मिलन की आशा में....न जाने कितने अरसे बीते....अब आ भी जाओ मीत मेरे....न जाने क्यूं नयना बरसे....।अब नयन प्रतीक्षारत से हैं....सपनों में फिर खो जाने को....इस आतुरता म

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रिश्तों में सच्चाई ढूंढूं

4 जून 2017
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"रिश्तों में सच्चाई ढूंढूं" ~~~~~~~~~~~~~रिश्तों में सच्चाई ढूंढूं....अपनों की परछाई ढूंढूं....रिश्तों की जो गहराई थी....वो सब अब बदलाव लिये हैं....संबंधों की नीति बदल गई....मिलने की तकनीक बदल गई....स्वार्थ भरी रिश्तों की चाहत....अब तो ये राजनीति बन गई.....रिश्तों के इस अनुबंधों में....रिश्त

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आहट की अभिलाषा में

16 जून 2017
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"आहट की अभिलाषा में" ---------------प्रेम के उपवन की हरियाली....मन को मोहित करती हैं....पुष्पों के सौंदर्य की गरिमा....मन में हलचल करती हैं....भौरों का मदमस्त समर्पण....पुष्पों पर इतराने का....मेरा मन भी करता है....मीठी यादों में खो जाने का....डाली पर कोयल की कू-कू....मधुर मिलन की आशा में....मै

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सपना गर अपना हो जाये

29 जून 2017
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सपना गर अपना हो जाये---------------सपना गर अपना हो जाये....किस्मत भी इतराती है....जीवन की जो परिभाषा है....सुखद सरल बन जाती है....जीवन उपवन पुष्पित होकर....नई उमंगें भरती हैं....हर सुख-दुःख फिर कट जाते हैं...नई तरंगें भरती हैं....सपनों का भी सच हो जाना...जीवन की उपलब्धि है....सकारात्मक निष्ठा मन में

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आंसू मेरे निकल गये

6 जुलाई 2017
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आंसू मेरे निकल गये ~~~~~~~~~~~~बदले-बदले हालातों से....अपने भी अब बदल गये....सपने जो बुनते थे मिलकर....वो सब तो अब बिखर गये....रिश्तों का माधुर्य मिलन जो....सुखदायी सा लगता था....वक़्त की आंधी ऐसी आयी....वो सब दुःख में बदल गये....जिन रिश्तों को सींचा हमने....स्नेह का जल संचय करके....वो तो अवसरव

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नयन आज आतुर सा क्यूं है

10 अगस्त 2017
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नयन आज आतुर सा क्यूं हैं...~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~नयन आज आतुर सा क्यूं है....मन में कुछ हलचल सी क्यूं है....पलकों की पंखुड़ियां गीली....बारिस सा ये मौसम क्यूं है....नयन आज आतुर सा क्यूं है....दिल जो स्वच्छंद गगन में....विचरण सा करता रहता था....हौले-हौले न जाने क्यूं ....उसमे ये भारीपन क्यूं है....नयन आज

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दस्तक

9 सितम्बर 2017
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|| दस्तक ||रुंधे गले में इक दस्तक....हौले से जब होती है....ये कैसी दस्तक होती है....उदास मन के कोने में,सुखद अतीत की यादों में,बोझिल हुई आंखों में,अधूरे रह गये सपनों में,रूठे हुये अपनों में,गुजरी हुई बातों में,दर्द भरे हालातों में,रिश्तों के खलियानों में,उलझे हुये जज्बातों में,विरह की वेदना में,अपनो

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चलो चलें सपने बुनते हैं

11 अक्टूबर 2017
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''चलो चलें सपने बुनते हैं...,, """""""""""""""""""""""""चलो चलें सपने बुनते हैं....महफ़िल में अपने चुनते हैं....रिश्तों में जो कड़वाहट है....उसका समाधान करते हैं....चलो चलें सपने बुनते हैं....।मौसम बदले, रिश्ते बदले....हालातों ने अपने बदले....जो मिलते थे सहज सरल बन....उनके सभी इरादे बदले....मुरझाय

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चलो आज कुछ फिर लिखते हैं

8 नवम्बर 2017
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"चलो आज कुछ फिर लिखते हैं,,"""""""""""""""""""""""""""""चलो आज कुछ फिर लिखते हैं...कुछ तुम कुछ हम कहते हैं...जीवन के जो रिक्त पृष्ठ हैं...उसमें नया रंग भरते हैं...चलो आज कुछ फिर लिखते हैं...तुम भी सहभागी बन जाओ...फिर से नया प्रयास करेंगे...शिथिल पड़ी जो खुशियों के पल...उसमें नयी उमंग भरते हैं...चलो आ

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बदले-बदले क्यूं लगते हो....

26 नवम्बर 2017
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"बदले-बदले क्यूं लगते हो" *********************बदले-बदले क्यूं लगते हो...फिर भी अपने क्यूं लगते हो...जो होना है होता ही है...सहमे-सहमे क्यूं रहते हो...बदले-बदले................।।जीवन तो परमार्थ प्रदत्त है...फिर मरने से क्यूं डरते हो...सुख-दुःख तो आनी जानी है...फिर जीने से क्यूं डरते हो...खुद में

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आज सुखद एहसास हुआ है

8 जनवरी 2018
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''आज सुखद एहसास हुआ है''----------------------छोटे-छोटे प्रयासों से...आज सुखद एहसास हुआ है...साथ चले थे हौले-हौले...आज सफ़र आसान हुआ है...जिस पौधे को सींचा मिलकर...हरा-भरा ओ आज हुआ है...छोटे-छोटे प्रयासों से...आज सुखद एहसास हुआ है...।।तुम जो साथ मेरे न होते...सफ़र सुगमता से न कटते...साहस जो सम्मान दिय

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कुछ तो हाल बयां कर जाओ

16 जनवरी 2018
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"कुछ तो हाल बयां कर जाओ" ---------------------कितने वर्षों बाद मिले हो,कुछ तो हाल बयां कर जाओ,,कुछ सुन लो, कुछ कह दो अपनी,दिल को कुछ बहला तो जाओ,,कितने वर्षों बाद मिले हो,कुछ तो हाल बयां कर जाओ ।।शायद तुम सब भूल चुके हो,साथ बिताये लम्हों को,,थोड़ा तुम कुछ याद करो,और थोड़ा याद दिलाकर जाओ,,कितने वर्षों

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आज फिर सब ख़याल आया है

30 जनवरी 2018
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आज फिर से ख़याल आया है,बंद पलकों में ख्वाब आया है,,रुंधे गले की सिसकियों नेजो दस्तक दी है,अब तो आंखों का भी रोने का मन बन आया है,,आज फिर से ख़याल आया है,बंद पलकों में ख्वाब आया है ।।चाहतें ख्वाब बन गयीं अब तो,वक़्त के उन हसीन लम्हों के,,आईने भी तो अब कतराते हैं,मुस्कुराते अक्स को दिखाने से,,इन्हीं हाला

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अब तो भरोसे को, भरोसे से सजोऊं कैसे ?

20 फरवरी 2018
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अब तो भरोसे को, भरोसे से सजोऊं कैसे ?जबकि उनको यकीन है, और है भी नहीं !अब तो नज़रों को, नज़रों से मिलाऊं कैसे ?जबकि वे नज़रों को मिलाते हैं, मिलाते भी नहीं !अब तो भरोसे को, भरोसे में सजोऊं कैसे ? ।।अब तो मिलकर भी मुलाकात को समझूं कैसे ?जबकि वे मिलकर भी, मुलाकात समझते ही नहीं !अब तो ख़याल भी रखते हैं, और

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आशाओं की आशा

1 अप्रैल 2018
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आशाओं की आशा ने एक नये पंख का सृजन किया है,जो अब उड़ने को है आतुर ,अभिलाषा के अम्बर में ,जो बैठा था पथ पर थककर ,वह भी अब मंजिल को चाहे ,बंद पड़ी जो मन की खिड़की ,वह भी अब खुलने को चाहे ,सफ़र सुगम होने को अब है ,जीवन की पगडंडी पर ,यूँ ही साथ बनाये रखना ,सहयोगी बनकर मेरा ,निर्देशन जो मिला है मुझको ,उसका म

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तुमको यकीन हो जाये

5 अप्रैल 2018
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तुम्हें अब भी यकीं नहींमेरे समर्पण पर बताओ क्या अर्पण करूँतुमको यकीन हो जाये ।बिताये थे जो लम्हे साथतुमको आज वो भूलेबताओ क्या करूँ ?तुमको वो लम्हेयाद आ जायें ।तुम्हें तो सौंप दी हैमैंने अपनी हर सांसेंबताओ क्या करूँ ?कि फिर से सांसे वापस आ जायें ।अब तो इस बात की उलझन हैफिर कुछ खोने कातुम्ही बताओ इसे

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प्रेम अगर है अनबन कैसी

14 अप्रैल 2018
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उलझन ये है उलझन कैसी ?प्रेम अगर है अनबन कैसी ?तुम जब मेरे साथ चले थेरस्ते में फिर ये दूरी कैसी ?तुमने तो थीं कसमें खाईसाथ जियेंगे साथ मरेंगेमिलने की जब घड़ी है आयीफिर मन मे ये उलझन कैसी ?शायद तुम भी बदल गये होसमय के इन हालातों सेफिर भी अब भी सोच में डूबेन जाने ये सोच है कैसी ?अंतर्मन के कोने में अब भ

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ख़यालात बने रहते हैं

16 अप्रैल 2018
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अब तो ख़यालों पर भीकुछ बंदिशों का पहरा हैकुछ ख़यालात कोछुप-छुप कर याद करते हैं ।जो ख़यालों में दिनों रात बने रहते थेवो तो अब ख़्याल में भीआने से कतराते हैं ।ज़िन्दगी ने कुछ इस तरहहालात बना डाला हैअब तो ख़यालात कीबातों से डरा करते हैं ।उन्हें तो इस बात का ख़यालभी नहीं शायद कि वही ख़यालों के ख़यालात बने रहते ह

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मलाल किससे करूँ ?

17 अप्रैल 2018
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अब तो मलाल भी इस बात का हैकि मलाल किससे करूं ?जब कोई साथ नहीं हैअपना कहने वाला !अब तो रूठूँ तो रूठूँ किससे ?जब कोई पास नही है मनाने वाला !अब तो इस बात पर रोना चाहूं भी तो रोऊँ कैसे ?जब कोई पास नही हैरुलाने वाला !अब तो साथ निभाना चाहूं भीतो निभाऊं कैसे ?जब कोई साथ नहीं हैनिभाने वाला !अब तो मलाल भी इस

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हमने तो बस प्रीति निभाई

24 अप्रैल 2018
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हमने तो बस प्रीति निभाईसंबंधों की नीति निभाईस्वार्थ भरी इस दुनिया मे भीहमने मन की रीति निभाईजीवन की इस पगडंडी परमैंने सच्ची प्रीति निभाई ...।।जब भी तुमको अपना मानातुमने मुझको किया बेगानाजब चाहा अपनाया मुझकोजब चाहा ठुकराया मुझकोमेरी निर्मल प्रेम रीति मेंतुमने तो राजनीति दिखाईहमने तो बस प्रीति निभाई..

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अब तुम्हारे बिन रहा जाता नहीं

26 मई 2018
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हो सके तो लौट आओ तुम प्रियअब तुम्हारे बिन रहा जाता नहींहाल भी बेहाल सा होने लगा हैतुम बिना अब तो जिया जाता नहीं...।जिंदगी का पथ भी अब सूना पड़ासहपथिक के रूप में तुम भी नहीं होमैं भी अब हारा थका सा बैठकरतुम्हारे आने की प्रतीक्षा कर रहा हूँहो सके तो लौट आओ तुम प्रियअब तुम्हारे बिन रहा जाता नहीं...।उन अ

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बस सिसकी है बाकी

8 जून 2018
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धड़कनें भी अब सुस्त सीहोने लगी हैंउस चिर-परिचित आहटकी प्रतीक्षा मेंजिसे सुनते ही तेज होजातीं थी धड़कनेंउमंगें भी चहचहानेलगतीं थींमधुर स्मृतियाँ भीहोठों पर गीत बनकरगुनगुनाने लगती थींपर आज तो बस नम हैं आँखें रुंधे गले में बस सिसकी है बाकीबस सिसकी है बाकी...।।विजय कनौजिया९८१८८८४७०१

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प्रेम के बंधन में हम तो बंध गए

30 जून 2018
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प्रेम के बंधन में हम तो बंध गएचाहतों के सिलसिले में खो गएजो न सोचा था कभी अपने लिएउन ख़यालों में उलझ कर रह गएनींद भी आती नहीं अब रात भरकरवटों में हम सिमट कर रह गए..।।क्या यही है प्रेम ऋतु की संरचनाहम इसी ऋतु के दीवाने हो गएप्रेम ही अब, प्रेम ही है जिंदगीप्रेम पथ पर साथ तुम रहना सदाज़िन्दगी से दूर अब ज

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जीवन का हर पल रंग दूँ

30 जून 2018
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तुम जो कह दो अर्पित कर दूंभाव मेरे मन मेंजो है तुम जो कह दोबतला दूं मैंचाह मेरे मन मेंजो है..।।सपना भी सचहो जाएगासाथ अगर अपनादे दोतुम जो कह दोलिख दूँ तुमकोजीवन का अपनाहर पल..।।तुम जो कह दोसंबंधों कीनई पृष्टभूमिलिख दूँअगर हाथ मेराथामो तुमजीवन का हरपल रंग दूँ..।।:::::विजय कनौजिया:::::        ९८१८८८४७०

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हाथों से हाथ मिलाये रखना

22 जुलाई 2018
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नेह का ये स्नेहिल बंधनयूँ ही सदा बनाये रखनासाथ बिताये हर्ष को यूं हीदिल में सदा बसाये रखनाअब तक जो सम्मान दिया हैहोठों पर मुस्कान दिया हैसदा निरंतर बना रहे येमुझको जो अभिमान दिया हैजीवन के हर पल में यूँ हीअपना साथ बनाये रखनापलकों में जो ख़्वाब सजे हैंओ एहसास जगाये रखनान हो कोई विरह वेदनाये विश्वास बन

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जिन्दगी के मोड़ पर

24 अगस्त 2018
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जिन्दगी के मोड़ पर""""""""""""""""""जिन्दगी के किसी भीमोड़ परजब हों कदमडगमग कभी तुम व्यथितहोना नहीं रुकना नहींथकना नहींहोगा सहज फिरपथ तुम्हाराजिन्दगी के मोड़ पर ।।साथ जब भी हैं तुम्हारेधैर्य और साहस हमेशाहै निरंतर चाह जब तकमंजिल मिलनाहै सुनिश्चितहृदय पथ होगामनोरम जिन्दगी के मोड़ पर ।जिन्दगी के मोड़ पर ।।

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