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आहिस्ता आहिस्ता

19 जुलाई 2021

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आहिस्ता आहिस्ता, मुझमें तू आ

खुद को हो ना खबर, रुह में यूं समा

रहे सांसें थमी थमी, रहे नब्ज जमी जमी

सुनें धड़कनों की सदा,

दोनों यहाँ,दोनों यहाँ

सर्दियों के नर्म धुप में,

तेरे मेरे अक्स जब जमीं पे पड़ते हैं

ऐसा लगता है जैसे,

बादलों के दो टुकड़े जमीं पे झुमते हैं

आओ झुमें हम भी जरा

दोनों यहाँ,दोनों यहाँ

आहिस्ता आहिस्ता

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