*ईश्वर द्वारा प्राप्त इस दिव्य जीवन में प्रकाश प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य सतत प्रयासरत रहता है | सूर्य चंद्रमा के द्वारा मिल रहे प्राकृतिक प्रकाश के अतिरिक्त मनुष्य ने प्रकाश के कई भौतिक संसाधनों का भी आविष्कार किया है | जहां प्रकाश मनुष्य को ऊर्जावान बनाता है वही अंधकार मनुष्य को निष्क्रिय
*इस धरती पर जन्म लेने के बाद मनुष्य एक लंबे समय तक जीवन जीता है और इस जीवन काल में जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए मनुष्य को अनेक संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है | जितनी आवश्यकता मनुष्य को भौतिक संसाधनों की पड़ती है उतनी ही आवश्यकता आंतरिक संसाधनों की भी होती है , मात्र भौतिक संसाधनों के बल पर इस ज
गाँधी तेरा सत्य ही मेरा दर्पण**********************" हम कोई महात्मा गाँधी थोड़े ही हैं कि समाजसेवा की दुकान खोल रखी है। किसी दूसरे विद्यालय में दाखिला करवा लो अपने बच्चे का.." पिता जी के स्वभाव में अचानक