हम मानुष जड़मति तू मां हमारी भारती आशीष से अपने प्रज्ञा संतति का संवारती तिमिर अज्ञान का दूर करो मां वागीश्वरी आत्मा संगीत की निहित तुझमें रागेश्वरी वाणी तू ही तू ही चक्षु मां वीणा-पुस्तक-धारिणी तू ही चित्त बुद्धि तू ही कृपा करो जगतारिणी विराजो जिह्वा पे धात्री हे देवी श्वेतपद्मासना क्षमा करो अपराधों