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कहीं दाग दे न जाए क्यूँ कर हिला दिया

hindi articles, stories and books related to Kahin dag de n jaye ku kar hila diya


"गीतिका-गज़ल"चाय की थी चाहत गुलशन खिला दिया सैर को निकले थे जबरन पिला दियाउड़ती हुई गुबार दिखी दो गिलास मेंतीजी खड़ी खली थी शाकी मिला दिया।।ताजगी भर झूमती रही तपी तपेलीसूखी थी पत्तियाँ रसमय शिला दिया।।रे मीठी नजाकत नमकीन हो गई तूँचटकार हुई प्याली चुस्की जिला दिया।।उबलती रही

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