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वीर रस "मनहर घनाक्षरी"

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वीर रस "मनहर घनाक्षरी"मन में चाह जगाइए देश हो खुशहालसीमा चौकी वीर जवान सदा रहे निहाल।कहीं से कोई बैरी गैरी नहिं आए छिनालहनो तमाचा सूजे चीचुका उसका गाल।।आया था जो घेरने माँ भारती की सीमा शानभेजो उसको वापसी करके लहू लुहान।बित्ते भर की देहनी खाँस रहा बेईमानभारती इतिहास का उल

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