29 सितम्बर 2015
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में एक वैज्ञानिक हूँ. हिंदी में अत्यधिक रूचि रखती हूँ. पिछले लगभग 35 वर्षो से हिंदी लेखन के माध्यम से हिंदी के प्रचार - प्रसार में सक्रिय हूँ. 5 काव्य संग्रह सहित कुल 7 मौलिक पुस्तके प्रकाशित . 8 पुस्तके सम्पादित
प्रचार-प्रसार हेतु सद्य प्रकाशित पुस्तक – एक माँ यह भी
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रचना की सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !
4 अक्टूबर 2015
सुन्दर धरा को जब मनुष्य ही कुरूप करने को उद्दत हो, तो ऐसे में आदमी के बिना ही प्रकृति के रंगों में रंगा हर चित्र मनहर है ! कविता के माध्यम से अति उत्तम भावाभिव्यक्ति !
3 अक्टूबर 2015
पुष्पाजी धन्यवाद !
2 अक्टूबर 2015
बहुत खूबसूरत रचना । बधाइयाँ . .
29 सितम्बर 2015