कश्मीर से कन्याकुमारी तक
कच्छ से बंगाल की खाड़ी तक ।
डोगरी से मलयालम तक,
गुजराती से बंगाली तक।
क्या,
कहीं कुछ फर्क है दिखता ?
भाषा,
पहनावा ही अलग दिखता ।
इनसान
तो एक-जैसा मिलता,
वही
पुष्प यहाँ-वहाँ खिलता
विशेषता
तो यही है हिन्दुस्तान की,
बाजी
लगा देंगे हम जान की।
दुश्मन
की नजर न पड़ने देंगे,
हम
एक थे, एक हैं, एक रहेंगे ।