"आह्वान"
क्या यह धरा वही हैजहाँ था गार्गी नेकिया शास्त्रार्थ?राजगुरु की समझ केबाहर,थे विद्योत्तमा केभावार्थ।विद्या, वाणी, बुद्धि,विवेक,ज्ञान करेगाअनुसंधान।शक्ति की देवीदुर्गा तो,करती है रिपु का सर–संधान।वाणी चाहती सदैवसम्मान, वरना शक्ति के लिएखुलता है द्वार।किरण शक्ति की वेदीपरकरती वार, प्रहार,संहार।”ज्ञान व