तेरे बिन जीने की आदत पड़ गई,
या कहे जिंदगी की शाम हो गई .
वो ना आये कर बहाना मशगूल का,
हमे जिंदगी में फुर्सत ही फुर्सत रही.
चाहने वाले उनके हज़ारो रहे हो मगर,
हमें तो बस एक तेरी ही चाहत रही.
मज़बूरी उनकी मशगूल होने की समझ,
हम ने उनको बुलाने की कोशिश ना की.
आलीम को इस जिंदगी में आराम कहाँ,
चाहत में उनकी बस उनका इंतज़ार रहा. (आलीम)