प्रत्येक इन्द्रिय के विषय में राग और द्वेष छिपे हुए है. मनुष्य को इसके वश में नहीं होना चाहिए, क्योकि ये दोनों ही कल्याण मार्ग में विघ्न डालने वाले है .(3-34)
Attraction and hatred are poised in the object of every sense experience; a man must not fall prey to these two brigands lurking on his path!