भजन , ध्यान , योग और परमार्थ जैसे कार्य जो प्रारम्भ में करने पर कष्ट देते है , परन्तु परिणाम में अमृत तुल्य है . इन कार्यो से होने वाला सुख सात्त्विक कहा गया है . (18-37)
The joy of lucidity at first seems like poison but is in the end like ambrosia, from the calm of self-understanding.