कोई भी मनुष्य छनमात्र भी कर्म किये बिना नहीं रह सकता क्योकि सभी प्राणी प्रकृति द्वारा कर्म करने के लिए बाध्य हैं .(3-5)
No one exists for even an instant without performing action; however unwilling, every being is forced to act by the qualities of nature.