जो मनुष्य दुःखप्रद कर्म से द्वेष नहीं करता और सुखद कर्म में आसक्त नहीं होता, वह शुद्ध सत्वगुण से युक्त संशयरहित, बुद्धिमान और सच्चा त्यागी है .(18-10)
He does not disdain unskilled action nor cling to skilled action; in his lucidity the relinquisher is wise and his doubts are cut away.