हेअर्जुन!नाना प्रकार की सब योनियो में जितनी मूर्तियां अर्थात शरीरधारी प्राणी उत्पन्न होते है , प्रकृति तो उन सबकी माता है और मैं बीज को स्थापन करने वाला पिता हूँ . हे अर्जुन !सत्त्वगुण, रजोगुण और तमोगुण अविनाशी जीवात्मा को शरीर में बाँधते है .(14-4, 5)