जो मनुष्य समस्त इन्द्रियों को हठपूर्वक ऊपर से रोककर मन से विषयों का चिंतन करता रहता है, वह मिथ्याचारी अर्थात दम्भी कहा जाता है . परंतु जो मनुष्य इन्द्रियों को वश में करके अनासक्त हुआ कर्मयोग का आचरण करता है , वही श्रेष्ट है .(3-6, 7)
When his senses are controlled but he keeps recalling sense objects with his mind, he is a self-deluded hypocrite. When he controls his senses with his mind and engages in the dicipline of action with his faculties of action, detachment sets him apart.