जिस काल में व्यक्ति न तो इन्द्रियों के भोगो में और न कर्मो में ही आसक्त होता है, उस काल में सर्वसंकल्पो त्यागी पुरुष योगारूढ़ कहा जाता है .(6-4)
He said to be mature in discipline when he has renounced all intention and is detached from senses objects and actions.