कपिध्वज अर्जुन ने मोर्चा बांधकर डटे हुए संबंधियों को देख कर श्रीकृष्ण महाराज से यह वचन कहे-- हे अच्युत! मेरे रथ को दोनों सेनाओ के बीच में खड़ा कीजिये जिससे मैं युद्ध में डटे हुए युद्ध अभिलाषी योद्धाओ को भली प्रकार देख लूं. (1-20, 22) Arjun, his war flag a rampant monkey, saw Dhritrashtr's sons,and tumult echoed through heaven and earth. He told his charioteer: "Krishan, halt my chariot between the armies!