शूरवीरता, तेज , धैर्य, चतुरता और युद्ध में न भागना , दान देना और सामर्थ्य प्राप्त करने हेतु चेष्टा करते रहना क्षत्रिय के स्वभाविक कर्म है .(18-43)
Heroism, fiery energy, resolve, skill, refusal to retreat in battle, charity and majesty in conduct are intrinsic to the action of a warrior.