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आप और हम जीवन के सच....... दोस्त

28 नवम्बर 2023

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शीर्षक - स्वैच्छिक (दोस्त)

आज जीवन में हम सब पाठक कहानी पढ़ने वाले हम सभी जो कि जीवन में कहानी हो एक कल्पना या हकीकत समझते हो उनके लिए आज एक स्वैच्छिक कहानी दोस्त लेकर आए हैं हां आज हम सभी दोस्त का मतलब तो समझते हैं दोस्त यह केवल एक नाम नहीं है दोस्त दोस्त का मतलब भी बहुत गहरा और अचूक होता है अगर वह दोस्त है तब आओ आज हम अपनी कहानी में एक कहानी पढ़ते हैं दोस्त इस दोस्त के किरदार हैं आप और हम क्योंकि हम सभी कहानी के पात्र ही कहानी को बनाते हैं और लिखते हैं हमारे पाठक भी तो कहानी के किरदार होते हैं हां सच जो कहानी आप इसे पढ़ रहे हैं उसके किरदार उसके हीरो आप है।

               अनिल और अनंत आपस में बहुत अच्छे गहरे दोस्त थे जबकि अनिल एक अनाथ परिवार का बालक था जहां उसकी परवरिश उसके चाचा चाची ने की थी और वह मुश्किलों में पाल और बढ़ा हुआ था क्योंकि उसके चाचा जी एक खराब किस्म के इंसान थे और वह चाचा चाची की यहां एक नौकर की भांति काम करके पढ़ कर बड़ा हुआ था इसलिए अनिल को गंभीरता और समझदारी और दुनियादारी की समझ ज्यादा थी दूसरी तरफ अनंत एक अच्छे परिवार का इकलौता बेटा था। अनंत और अनिल की दोस्ती पास-पड़ोस में रहने के साथ-साथ एक दूसरे के घर आना जाना और एक दूसरे की जानकारी और कभी-कभी एक दूसरे के साथ सोना खाना सब एक साथ होता रहता था परंतु अनिल फिर भी बहुत समझदार था अनिल अनंत से एक दो साल बड़ा भी था। और अनंत अपने परिवार से पैसे और कपड़े वगैरा से अनिल की मदद भी कर देता था इसलिए अनिल अनंत में एक अच्छी दोस्ती थी और दोनों में दोस्ती बिल्कुल निस्वार्थ भाव थी अनिल जिस कक्षा में पढ़ता था उसी कक्षा में एक लड़की सुनीता पढ़ती थी और सुनीता भी बेहद समझदार और खूबसूरत थी। दूसरी कक्षा में अनंत पढ़ता था और स्कूल दोनों का एक ही था परंतु कक्षाएं अलग-अलग थी कभी-कभी अनंत अनिल और सुनीता कॉलेज की कैंटीन में चाय कॉफी पीते थे इधर सुनीता अनिल को उसकी समझदारी गंभीरता के लिए एक अच्छी दोस्त और चाहती भी थी दोनों एक दूसरे से प्रेम भी करते थे परंतु अनंत भी सुनीता को मन ही मन में प्रेम करता था और वह सुनीता से शादी भी करना चाहता था परंतु सुनीता तो अनिल को जाती थी यह बात अनंत को मालूम थी बस जीवन में एक सच है कि अच्छे कामों में या दिल के मामलों में हम कहीं ना कहीं अपना स्वार्थ दिखा देते है। अनिल एक मजबूर और अनाथ बेसहारा था क्योंकि उसके चाचा चाचा नौकर की भांति व्यवहार करते थे। वह सुनीता से कहता था कि सुनीता मैं पढ़ लिखकर जब अच्छा काम कर लूंगा तब तुम्हें अपना बनाने आऊंगा सुनीता भी उसकी गंभीरता समझदारी पर विश्वास कर कहती थी मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी और अनंत मन ही मन सुनीता को अपनी जीवन संगिनी बनाने के सपने देखता था। जबकि अनंत अनिल का एक अच्छा दोस्त था परंतु एक लड़की के लिए उसकी दोस्ती उसको दूर करती जा रही थी एक दिन अनंत ने अनिल से कहा अनिल दोस्त अगर मैं तुमसे कुछ जीवन में मांगू तो क्या तुम मुझे दे दोगे अनिल अनंत से कहता है तुम जो भी मांगोगे मैं दे दूंगा। सच अनिल तुम बुरा तो नहीं मानोगे अनिल कहता है तुम अनंत दोस्त हो मेरे मांग कर तो देखो।

                     अनंत अनिल से कहता है कि हम तुम और सुनीता तीनों एक स्कूल में पढ़ते हैं मेरे घर वाले मेरी शादी करना चाहते हैं मैं सुनीता आपको चाहता हूं सुनीता बहुत अच्छी लड़की है कि वह मेरी जीवन संगिनी बने। बस दोस्त इतनी सी बात ठीक है दोस्त तुम सुनीता से शादी कर लेना मैं तुम्हारे दोनों के बीच में से चला जाऊंगा और अनिल उस दिन के बाद कभी अनंत से नहीं मिला। अनंत और सुनीता दोनों कॉलेज में मिलते और अनिल के बारे में पूछते एक दूसरे से परंतु अनंत कहता बस कल से मुझे मिलने नहीं आया और वह स्कूल भी नहीं आया अनंत और सुनीता एक दिन उसके घर जाती है तो उसके चाचा चाची कहते हैं वह तो बहुत दिनों से घर आया ही नहीं तो अनंत और सुनीता पूछते हैं आपने अनिल को खोजा नहीं अनिल के चाचा चाची के आते हैं हमें जरूरत ही नहीं है उसकी वह तो वैसे भी हमारा कोई काम नहीं करता है ऐसा कहकर अनिल के चाचा चाची अपने काम में लग जाते हैं और अनंत और सुनीता दोनों चले जाते हैं अब अनंत और सुनीता को अनिल की चिंता होने लगती है और वह पास की पुलिस स्टेशन पर उसकी खोजने की एक सूचना लिखवाते हैं कुछ दिनों बाद एक सड़क के किनारे लाश मिलती है और उसके हाथ में एक पर्चा होता है और उसे पर्ची पर लिखा होता है मेरे जीवन में मेरे दोस्ती और मेरे दोस्त ही सब कुछ है इसलिए मेरे जीवन में मेरे दोस्त के सिवा और कुछ नहीं है और जबतक यह परचा मिला होगा। अब तक में अपने दोस्त की दोस्ती का फर्ज अदा कर चुका होगा और साथ ही साथ मेरे जीवन का एक कर्ज और बोझ भी अदा हो चुका होगा हमें दोस्ती जीवन में निस्वार्थ करनी चाहिए ना की स्वार्थ के साथ करनी चाहिए एक दोस्त ही एक जीवन और चाहत का नाम होता है दोस्त सच तो जीवन में दोस्त होता है अगर वह दोस्त है


नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र 

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आप और हम जीवन के सच..…... दोस्त
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शीर्षक - दोस्त सुनीता कॉलेज की कैंटीन में चाय कॉफी पीते थे इधर सुनीता अनिल को उसकी समझदारी गंभीरता के लिए एक अच्छी दोस्त और चाहती भी थी दोनों एक दूसरे से प्रेम भी करते थे परंतु अनंत भी सुनीता को मन ही मन में प्रेम करता था और वह सुनीता से शादी भी करना चाहता था परंतु सुनीता तो अनिल को जाती थी यह बात अनंत को मालूम थी बस जीवन में एक सच है कि अच्छे कामों में या दिल के मामलों में हम कहीं ना कहीं अपना स्वार्थ दिखा देते है। अनिल एक मजबूर और अनाथ बेसहारा

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