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आप और हम जीवन के सच.......हम आधुनिक

24 दिसम्बर 2023

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                            आज की कहानी हम सब की अपनी अपनी कहानी है क्योंकि  आधुनिक हम हैं। सच तो यही है कि युवा परिवर्तन में हम सब संसार के परिवर्तन के साथ-साथ हम सभी रोज  कोई ना कोई परिवर्तन तो चाहते हैं परंतु हमने कभी यही न सोचा हम आधुनिक बन जाएंगे तब हम अपने जीवन में क्या-क्या भूल जाएंगे हम आधुनिक बन जाएं यह सच सही है परंतु हम अपने जीवन में परिवर्तन और अपनों को भी भूल जाए तब यह हम आधुनिक होना एक अलग बात है।

                   राजा अपने परिवार का इकलौता बेटा था इस जीवन में हर आधुनिक चीज पसंद थी और उसके सोचने का तरीका भी आधुनिक था। और वह हर समय कुछ ना कुछ आधुनिक चीजों को देखता और सोचता रहता था। और वह जीवन में कुछ आधुनिक करना और हम आधुनिक बनना चाहता था। हम आधुनिक का मतलब है वह सब के साथ सबका विकास करना चाहता था जिससे हमारा देश हमारा जीवन सही तरीके से जीवन यापन कर सके। परंतु हम आधुनिक सोच तो रखते हैं। आज आधुनिक युग में हम सभी केवल अपने-अपने स्वार्थ और हम आधुनिक बन गए। 

                     बहुत से लोग हम आधुनिक के साथ-साथ अपने अहम और वहम में हम अपने जीवन में आधुनिक परिवेश के साथ साथ अपने समझ और रुप  रंग में बहुत कुछ भूल जाते हैं। अपने माता-पिता जो अब बुढ़ापे में हमारे सहयोग के साथ अपना जीवन हमारे लालन पालन में समर्पित कर देते हैं परंतु राजा अपने परिवार का इकलौता बेटा होने के साथ-साथ बहुत समझदार था। वह हर किसी की इज्जत सभी को सम्मान देता था और अपने माता-पिता के लिए वह आधुनिक युग का श्रवण कुमार था हम आधुनिक बन सकते हैं परंतु हम अपनी धर्म और समझदारी को ना छोड़े क्योंकि हम आधुनिकता के साथ-साथ जीवन की सार  जीवन उच्च विचार की परिभाषा को ना भूले।

                 सच हम आधुनिक बन सकते हैं और कोई गलत निर्णय भी नहीं है समय समाज संसार बदलता है। आधुनिक समय के साथ-साथ बदलाव तो संसार का नियम है राजा अपने इस निबंध लेखन में स्कूल में फर्स्ट नंबर पर आता है और सारे स्कूल में राजा के नाम पर चर्चा होते है। जब राजा से पूछा जाता है राजा तुम्हारे अंदर आज के आधुनिक युग में भी ऐसे संस्कार कहां से हैं तब राजा अपने माता-पिता को लेकर साथ आता है और कहता है मैं इनका सगा बेटा नहीं हूं। इन्होंने मुझे बचपन से पाला है और मुझे बड़ा होकर यह बताया था कि मेरी माता-पिता मुझे पैदा करके  मंदिर की पौड़ी पर छोड़ कर चले गए थे इन्होंने मुझे पाला है और सच भी बताया है तब मैं आज आधुनिक जमाने में भी हम आधुनिक बन सकते हैं परंतु हम अपने संस्कार संस्कृति को ना भूले यही हमारा हम आधुनिक होने का दायित्व है आओ हम आधुनिक बनते हैं।


नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र


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रचनाएँ
आप और हम जीवन के सच..…... दोस्त
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शीर्षक - दोस्त सुनीता कॉलेज की कैंटीन में चाय कॉफी पीते थे इधर सुनीता अनिल को उसकी समझदारी गंभीरता के लिए एक अच्छी दोस्त और चाहती भी थी दोनों एक दूसरे से प्रेम भी करते थे परंतु अनंत भी सुनीता को मन ही मन में प्रेम करता था और वह सुनीता से शादी भी करना चाहता था परंतु सुनीता तो अनिल को जाती थी यह बात अनंत को मालूम थी बस जीवन में एक सच है कि अच्छे कामों में या दिल के मामलों में हम कहीं ना कहीं अपना स्वार्थ दिखा देते है। अनिल एक मजबूर और अनाथ बेसहारा

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