शिकायत
अब तो साँसे भी मेरी मुझसे , शिकायत कर चली है ,लगता हैं अब वो भी मुझसे , किनारा कर चली है ;हिदायत क्या दू अब किसी और को मैं - 2के जिस्म मेरा ज़िंदा रह कर मेरी रूह मर चली है।जिस दौर से गुजरी थी कभी एक दफा, वापस उस दौर में आ कर ठहर गयी हु मैं ;जहा से समेट कर लाई थी खुद को बाहर,वापस वही आ कर तील तील बिखर