ये दुनिया भांति भांति के प्राणीयों से भरी हुई है। इनमें कुछ अच्छे कुछ बुरें हैं। कुछ झूठे हैं।कुछ सच्चे हैं। लेकिन इनमें सबसे शुद्ध हैं। बच्चे।ये इस दुनिया में अभी आए ही होते हैं।ये दुनिया इनको प्रदुषित नहीं कर पाई होती है। इसलिए इनके मन में किसी के प्रति कोई हीन भावना और मैल नहीं होता है।इनको आप जैसा ढालना चाहो ढाल सकते हो।ये कहावत हर जगह सुनने को मिलती है।कि अगर किसी परिवार की सच्चाई जाननी हो। तो उस परिवार के बच्चों से दोस्ती करो। आप उनसे जो कुछ भी पूछोगे।वो सच बता देंगे।
अगर इस दुनिया में कोई अभी भी अभ्रष्ट है।तो वो है।ये बच्चे।ये बेहद निर्दोष होते हैं। इसीलिए अदालत में भी बच्चे की गवाही की अधिक एहमियत होती है। क्योंकि उसे भगवान का दूसरा रुप माना जाता है।अगर बच्चे कुछ ग़लत करते भी हैं।तो वो बड़ों के कहने में आकर करते हैं।बड़े ही उन्हैं उल्टे-सीधे रास्ते पे डालते हैं।बच्चे बड़ों पर निर्भर होने के कारण और उनपे अधिक विश्वास करने के कारण। गलत कर बैठते हैं।इसी कारण जब बच्चा कोई गुनाह करता भी है।तो उसे सजा नहीं होती। बल्कि सुधारने के लिए सुधार घर में भेजा जाता है।
इसलिए मैं सोचता हूं।कि बच्चों की इस खुबी को कायम रखने के लिए उनको सही शिक्षा मिलनी चाहिए। सही वातावरण मिलना चाहिए। जिससे जो चारों तरफ झूठ और फरेब से प्रदूषित हवा है। उससे उन्हें बचाया जा सके। और एक अच्छे नागरिक की नींव डाली जा सके।