आज महामारी का समय,
कई सावधानीयों का उपयोग,
सोशल डिस्टैंसिंग रखिए,
मास्क लगाइए,
बाहर मत निकलईए,
बस दूर दूर रहिए।
बेचारे आशिक पे भी,
कोई तरस खाईए,
बड़ी मुश्किल से,
माशूक को मनाता,
साथ चलने को तैयार करता,
एकांत ढुंढता,
लेकिन कंबख्य,
कोरोना का राक्षस आ धमकता।
उपर से बेइंतहा सर्दी,
अकेले कैसे बात बनती,
अगर उसकी तरफ,
हाथ भी बढ़ाता,
दूर रहने की चेतावनी देती,
उपर वाले,
तूं खूद तो स्वर्ग में बैठा,
काश! कुछ इस प्रथ्वी वासी पे भी,
रहम करता,
कुछ ऐसा चक्कर चलाता,
कि मैं उसे प्यार से छू पाता।