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चलती रहे नाविक ये जीवन की नाव।

4 मार्च 2017
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चलती रहे नाविक ये जीवन की नाव।बढ़ती रहे नाविक ये जीवन की नाव।-धारा अनुकूल कभी।धारा प्रतिकूल कभी।कूल-कूल बदरौटी,धूप कहीं छाँह।चलती रहे नाविक ये जीवन की नाव।बढ़ती रहे नाविक ये जीवन की नाव।-वनपथ पर फूल कहीं।वनपथ पर शूल कहीं।वनपथ के पार कहीं,सपनों का गाँव।चलती रहे नाविक ये जीवन की नाव।बढ़ती रहे नाविक ये

समय सिंहनी चींख रही है

4 मार्च 2017
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प्रसव वेदना है यह जिससे,समय सिंहनी चींख रही है।-भले रुदन से जग थर्राया।लगे धरा पर ही अघ आया।ऊँचे अम्बर से पौरुष की ,माँग धरित्री भींख रही है।(1)-काली रात घिरा अँधियारा।लड़ते-लड़ते दीपक हारा ।छिपी हार में जीत पूर्व में,पौ फटती सी दीख रही है।प्रसव वेदना है…………(2)-बहुत सहा है ताण्डव नर्तन।कुछ दिन और सह

भगत सिंह सरदार

4 मार्च 2017
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झुके न आगे जुल्म के, सहे न अत्याचार।वह बागी आवाज है,भगत सिंह सरदार ।।-भगत सिंह सरदार सा, जिसने जना सपूत।वह माता विद्यावती ,जंगम तीरथ पूत ।।-महाकाल के भाल पर, ये तिरपुंड ललाम।भगत सिंह सुखदेव का,राजगुरू का नाम।।-क्रांति-ऋषी थे देश के, विद्रोही आचार्य ।प्राण होम करके किया,भारत माँ का कार्य।।-जीवन था ज्

अब तो अरुणोदय हो।

4 मार्च 2017
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अब तो अरुणोदय हो।नूतन सूर्य उदय हो।-उदयाचल से दिगदिगंत तक,फैली अभिनव लालिमा ।दीप करो विश्राम,ज्योति से-अधिक तुम्हारी कालिमा।देकर शरण तिमर से रण का,और न अब अभिनय हो।नूतन सूर्य उदय हो।1।-अब तो धूप धरा पर उतरे,चढ़ किरणों की पालकी।आँगन में सज उठे रंगोली,मोती और गुलाल की।खिल जाए प्राची का पाटल,जग-उपवन मध

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