बहर-ए-हिन्दी मुतकारिब इसरम मक़बूज़ महज़ूफ़
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
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अधरों की अबीर ...
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कोई मोहब्बत की तकदीर तो लिख दे
हर जुबां पे हद मीठी खीर तो लिख दे
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सबने माथे गाल पे क्या- लिख डाला
आकर अधरों की अबीर तो लिख दे
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हूँ दस्तबस्ता मै शहर में अकेला
पैरों बदनामी ज़ंजीर तो लिख दे
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दस्तबस्ता = बंधे हाथ
खुश हैं लोग आग लगाके बस्ती में
मौला इनके हिस्से पीर तू लिख दे
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मेरी सलामती दुआ मांगी सबने
मेरे नाम अपनी जागीर तो लिख दे
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यहाँ बुतपरस्ती है हराम मुझको
मन आंखें देखूं तस्वीर तो लिख दे
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मेरे कद को छोटा करने वाले सुन
मुझ से बड़ी कोई लकीर तो लिख दे
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सुशील यादव दुर्ग
7000226712
20.12.24