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Mutdaarik
musamman mahzoz
faa'ilun faa'ilun faa'ilun fe'
212 212 212 2
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खून के छींटे है पथ्थरो में
ढूढ़ते दाग है खंजरो में
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मांगना खैरियत जान की तुम
जब मची लूट चारागरों में
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कारवां रोकना पड़ गया है
कुछ थके कुछ गुमे कंजरो में
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मूक झूठी गवाही नहीं ये
बोलते लोग हैं कटघरों में
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खेल नेता अभी यू दिखाया
खलबली सी मची जादूगरों में
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तुम जरा गर कहो खास बनते
हम रहे चूकते खास अवसरों में
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सुशील यादव
2
हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
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मैं तुझसे मिलने का, कोई बहाना ढूढ लेता हूँ
घने जंगल गड़ा- भूला, खजाना ढूंढ लेता हूँ
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सितम – जुल्मों बनी, तेरी गली, लेकिन जुदा हो के
नसीबो में लिखा ,अपना ,खजाना ढूंढ लेता हूँ
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न भाये है,हमें तारीफ के, पल से गुजरना भी
शराफ़त से झुकाने सर, बहाना ढूंढ लेता हूँ
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अगर नजदीक आ ,जाना दूर था, तुमको क़िसी काऱण
वजह पूछे बिना भी मैं, फसाना ढूंढ लेता हूँ
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अगर मानिंद करवट, वक्त बदले ,कहीं किस्मत
मै पेचो ख़म में, कतरन- खत पुराना ढूंढ लेता हूँ
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मुझें बेकार समझे, भूल बैठे, तुम भले लोगो
कदर पाने, कहीं महफिल, ठिकाना ढूंढ लेता हूँ
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छिपाओ लाख, बादल- बिजलियां ,खुशबुओं को तुम भी
हकीकत कहते जुमलों में, ज़माना ढूंढ लेता हूँ
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सुशील यादव
3
हज़ज मुसद्दस सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन 1222=1222=1222
जब हमें......
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बस हमें थूक के चाटना आ गया
दूर तक प्यार को बांटना आ गया
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जानते थे सभी नासमझ एक दिन
आज कुनबा हमे साधना आ गया
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रस्सियां भी अकड की जली आप की
यूं विरोधी हमे बांधना आ गया
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झाकता क्यूँ बसर धर्म की आड़
से
छेद दर छेद सब ढापना आ गया
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दर्जियो के सिले शर्ट की हैसियत
अब गला आस्ती काटना आ गया
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लाख रोड़े बिछे हो अगर सामने
पर्वतों को कठिन लांघना आ गया
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ठान लो जिद में करना सभी काम
तो
साथ देने छिपा सरगना आ गया
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१२२२ १२२२ १२२२
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हया के परदे में पर यूँ क़तर देगा
वो आग़ाजे मुहब्बत की खबर देगा
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किसी दरवाजे दम ना हौसला टूटे
लिखा है तो , बुला हाथो हुनर देगा
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मुझे भी टूट कर आया बिखरना जो
किसी दिन देख लेना हमको घर देगा
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खतावारो हमी पर टूट बरसो तुम
गुनहगारों से बचने को नजर देगा
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मेरे हक़ फैसला करना जरा वाजिब
कहीं राहत मुसाफिर सा अगर देगा
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5
मतदारक मुसम्मन मज़ाल
फ़ाइलात फ़ाइलुन फ़ाइलात फ़ाइलुन 2121 212 2121 212
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मुझे
भी आता रोना बेबसी का
बहुत कम है तजुर्बा जिंदगी का
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बुलंदी पे उसी के रंग देखे
वहीँ तो वास्ता था रौशनी का
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सलीका भी नजाकत से भरा था
तरीका आजमाना सादगी का
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थे
उखड़े पाँव उनके थी थकी चाल
रहा भय
जिन्दगी भर तीरगी का
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नहीं लौटा वहाँ जाकर कोई भी
पता किसको है गुजरे आदमी का
हज़ज मुसद्दस सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन 1222=1222=1222
आओ तुम भी मेरे दिल का कबाड़ देखलो
हाल क़्या है क्यों ये बस्ती उजाड़ देख लो
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फिर रहा हूँ दस्त सहरा बेजुबान दर ब दर
पीठ जख्म का गजब है पहाड़ देख लो
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तुम नहीं मिली कहीं ख्वाब में मुझे हुजुर
नागवार कैद हैं दिल तिहाड़ देख लो
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शेर लापता हुए जंगलो से इन दिनों
नेता की नुमाइशी ये दहाड़ देख लो
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आज टूट कर
तुझे चाहने की है खुशी
आजमा के आप ये भी जुगाड़ देख लो ##
सुशील यादव
7
मुझे तुमने सिखाया है बिखरना जी
जहाँ सीखा तू ने सजना सवरना जी
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कभी जादू कहाँ चलती निगाहों की
अभी आया तुझे हर बात अखरना जी
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हमी कायल अदाओं के रहे हरदम
हमी अफसोस छोड़े बैठे डरना जी
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नदी बहती किनारों को बहा जाती
कभी देखो किनारों मूक झरना जी
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जिसे है सादगी थोड़ी शराफत भी
वो जाने कब वादों से मुकरना जी
8
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फूल खुशबू कहां है चमक के लिए
होश वाले लड़े है नमक के लिए
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वक़्त भी ये जहर नफ़रतों घोलता
बोलने तुम लगे बस सनक के लिए
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आज मायूस ने याद कैसे किया
दर्द छलका हो मीठी कसक के लिए
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एक हमको तुम्ही दस्तको ढूढ़ते
लोग तो लापता हैं शफक के लिए
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कहने को क़्या बचा पास मेरे यहाँ
कातिलों इस नगर में रमक़ के लिए
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रहगुजर बैठ कर देखना तुम कभी
आस मिटती कहां इक झलक के लिए
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जो नसीहत पिया बैठ कर मैकदे
खैर हम क्या मनाएं शतक के लिए
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शफक = क्षितिज की लाली
रमक़ = रही सही जान, थोड़ी सी जिंदगी
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9
मौसम....
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मेरे चाहने से कब बदला है मौसम
तेरे कहने पे जो चलता है मौसम
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घुटने - घुटने पानी जब नावें चलती
ठहरा - ठहरा तब तो लगता है मौसम
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नदिया बीच भंवर मेँ फँस कर ये जाना
खुद भी कैसे रह लेता तन्हा मौसम
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एक दूजे की हम पूछ परख क्या
रखते
तिरपाल तले हो कुनबा सूखा मौसम
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सालों साल भटका जाने कहाँ कहाँ
कुछ तिलस्मी, फिल्मी गोया मौसम
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर,जोन 1 स्ट्रीट
3 A
दुर्ग छत्तीसगढ़
मोबाईल :7000226712
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2122 2122 2122
जिन्दगी में अँधेरा .....
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ये थका सा काफिला कब तक चलेगा
करवटों का सिलसिला कब तक चलेगा
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कौन जाने लापता मंजिल कहाँ पे
और उखड़ा रास्ता कब तक चलेगा
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आप चल लेते अँधेरे , मन के माफिक
आपका ये फैसला कब तक चलेगा
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कोई तो तुम रौशनी के ख्वाब देखो
या खुदा ये बद्दुआ कब तक चलेगा
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छोड़ दो अब तो हिदायत रात जीना
बारहा हर मश्वरा कब तक चलेगा
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थक चुकी है अब यहाँ ताकत जि स्मानी
कातिलो से सामना कब तक चलेगा
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बिन बुलाए आ खड़ी हो मौत बेजा
एक तरफा हादसा कब तक चलेगा
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रहनुमाओ खौफ मत पैदा करो अब
पुश्तो जारी मामला कब तक चलेगा
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सामने मीजान मेरे इश्क का कर
मुझ पे सारा जलजला कब तक चलेगा
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर,जोन 1 स्ट्रीट
3 A दुर्ग छत्तीसगढ़
मोबाईल :7000226712
11
रमल मुसद्दस महज़ूफ़
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाइलुन
21222122212
एक बन के वो फरिश्ता आया था
या अदावत साथ रिश्ता आया था
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देखना टकसाल का हो जादू गर
मेरे हिस्से खोटा सिक्का आया था
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सोच आउट हूँ उभरती मन ही मन
पर वहीं, किस्मत का छक्का आया था
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सादगी का तेरी कायल जो हूँ अब
जिंदगी का छोड़ लम्हा आया था
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दुश्मनी हो बीच जुम्मन अलगू सी
जद _गजब कानून किस्सा आया था
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