यह पुस्तक हमारे उन सभी महापुरुषों एवं पूर्वजों को समर्पित है, जिन्होंने सनातन धर्म की परम्पराओं (मानवता, सत्यता, न्याय इत्यादि) का आदर्श रूप से पालन करते हुए अपने श्रेष्ठ कर्मों द्वारा अपने धर्म, कुल एवं देश के गौरव को बढ़ाया तथा उसके हेतु अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, जिसके कारण आज हम अपने आपको अत्यंत गौरवान्वित अनुभव करते हैं। यह पुस्तक हमारे देश के उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहूति देकर इस देश को स्वतंत्रता दिलाई। यह पुस्तक हमारे उन सभी वीर सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने देश की सेवा में अपने आपको बलिदान कर दिया। यह पुस्तक हमारे देश की जल, थल एवं वायु सेना के उन सभी वीर सैनिकों को समर्पित है, जो दिन-रात हमारे देश की सुरक्षा में समर्पण भाव से लगे हुए हैं। यह पुस्तक हमारे देश के उस प्रत्येक नागरिक को समर्पित है, जिसके हृदय में देशभक्ति, राष्ट्रधर्म एवं भारत माता के प्रति सम्मान का भाव है और जो इस देश की मानवतावादी सनातन संस्कृति में विश्वास रखता है, जिसके आदर्श हैं “सब जीवों के प्रति सम्मान का भाव” एवं “वसुधैव कुटुम्बकम”। यह पुस्तक उस प्रत्येक व्यक्ति को समर्पित है, जो इस देश की प्राचीन न्यायवादी मान्यताओं का समर्थन करता है तथा ईमानदारी से देश के विकास एवं इसकी सुरक्षा हेतु निरंतर कार्यरत है। यह पुस्तक उन सभी को समर्पित है, जो सम्पूर्ण विश्व में आतंक मुक्त, भृष्टाचार मुक्त, न्यायपूर्ण, अहिंसात्मक, शांतिपूर्ण, सम्मानयुक्त, ईमानदार एवं सहयोगात्मक मानवतावादी व्यवस्था की कामना रखते हैं तथा उसकी स्थापना हेतु प्रयासरत हैं। यह पुस्तक उस प्रत्येक व्यक्ति को समर्पित है जो, नीचता, गद्दारी, विश्वासघात, कुटिलता, देशद्रोह, अन्याय, हिंसा, अधर्म, असत्य, भृष्टाचार, कृतघ्नता इत्यादि को दुर्गुणों की श्रेणी में रखकर उनके समर्थकों को दंड देने में विश्वास रखता है। यह पुस्तक उन सभी लेखकों एवं कवियों को भी समर्पित है जिन्होनें अपने कठिन परिश्रम द्वारा हमारे महापुरुषों को अपनी रचनाओं में स्थान देकर हमेशा के लिए अमर कर दिया है, जिनके अध्यन से हम आज उनके चरित्र, व्यक्तित्व एवं आदर्शों की कल्पना कर पा रहे हैं।