डॉक्टर साहिबा की जिंदगी का एक पन्ना
अभी मैंने उस ग्रामीण स्त्री की बायीं आँख का ऑपरेशन शुरू ही किया था कि उसने कहना शुरू कर दिया। ''डाक्टरनी ! तुम तो देवी हो देवी! तुमने पहले मेरे आदमी की आँख का ऑपरेशन किया उसे रोशनी दी। अब तुम मेरा ऑपरेशन कर रही हो। तुम तो सचमुच ही देवी हो।" मेरा मन-मष्तिष्क गर्व और