आदमी ग़र ख़ुद को अनोखा निवेश समझें ,
इससे बढ़के कौन ख़ुद को बेहतर परिवेश समझें ?
इस धरा का सबसे अमूल्य धन हैं आदमी,
जो ख़ुद को धाराशाई समझे वो कहां हैं आदमी !!
एक आदमी अकेला ही इतिहास लिखता हैं,
बाद उसके सारी जहां उसके साथ चलता हैं !!
जिसके हाथ नहीं, पैर नहीं असल में वो हैं आदमी
कैसे हिम्मत जुटा जहां में अपना असर छोड़ जाता हैं ?
रिश्ते
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जो रिश्ते टूट जाते हैं वो
बमुश्किल ही जुड़ पाते हैं
लेकिन पेड़ से टूटे पत्ते
फिर नए उग आते हैं !
आदमी असल में
आपा खो देता हैं
ख़ुद को समझ ले तो
एक श्रृंखला सा बन जाता हैं !!
मैं बड़ा तो
मैं बड़ा
ज़माने में इसी लड़ाई में
अपने अपनों से दूर हो जाते हैं !!
फैशन की काली सच्चाई में
दिखावे की बड़ी बधाई में
पूरी भीड़ एकजुट हो
परस्पर एक दूजे को बांट रहा हैं !!
लहरे
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लहरे जो आती जाती रहती हैं,
अनोखे रास्ते की सिख देती रहती हैं,
ख़ुद में जुनून का जहर घोल लेती हैं,
इसी परिपाटी से औरों को परिचित करवाती हैं !
जिस रास्ते पे वो कदम रख देता हैं
वो रास्ता भी स्वतः अनमोल हो जाता हैं
लहरे जो आती जाती रहती हैं,
अनोखे रास्ते की सिख देती रहती हैं !!
जहां छाया था उन्माद की किरण
वहां उमंगो का त्योहार मना लेता हैं
भरता ख़ुद में ऐसा जूनून की आग
पूरी भीड़ एकजुट हो चली आती हैं
लहरे जो आती जाती रहती हैं,
अनोखे रास्ते की सिख देती रहती हैं,
ख़ुद में जुनून का जहर घोल लेती हैं,
इसी परिपाटी से औरों को परिचित करवाती हैं !
लहरे
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लहरे जो आती जाती रहती हैं,
अनोखे रास्ते की सिख देती रहती हैं,
ख़ुद में जुनून का जहर घोल लेती हैं,
इसी परिपाटी से औरों को परिचित करवाती हैं !
जिस रास्ते पे वो कदम रख देता हैं
वो रास्ता भी स्वतः अनमोल हो जाता हैं
लहरे जो आती जाती रहती हैं,
अनोखे रास्ते की सिख देती रहती हैं !!
जहां छाया था उन्माद की किरण
वहां उमंगो का त्योहार मना लेता हैं
भरता ख़ुद में ऐसा जूनून की आग
पूरी भीड़ एकजुट हो चली आती हैं
लहरे जो आती जाती रहती हैं,
अनोखे रास्ते की सिख देती रहती हैं,
ख़ुद में जुनून का जहर घोल लेती हैं,
इसी परिपाटी से औरों को परिचित करवाती हैं !
@ चंदन की कलम