आज घर में कई तरह की चीजें बनी हुई हैं ,' चंद्रिका' भी ,अपने मायके में ही आ गई है क्योंकि आज नीलिमा जो आई है। ' पग फेरे', की रस्म के लिए , वैसे तो उसके मायके से किसी ने बुलावा भी नहीं भेजा था। उसके मायके वालों ने, तो जैसे उसे भुला ही दिया। नीलिमा को तो अपने माता-पिता का स्मरण है , वो उन्हें कैसे भुला दे ? उसे घर को जहां जन्म लिया। पली - बढ़ी , इस संसार को देखा ,अभी इन लोगों से प्यार तो है ही. जब से' स्विट्जरलैंड 'गई है ,तब से वह, अपने अनुभव भी तो अपनों को बताने और सुनाने के लिए उत्सुक है। घर जाते ही सबसे मिली। इस तरह बेटी को अकेली आते देखकर , पार्वती का मन शंकाओं से भर गया। सबने उसके पीछे देखा किंतु कोई नहीं था। उसके कपड़े ,उसके चेहरे की मुस्कान, उनके मन की किसी भी परेशानी और शंका को पनपने देना नहीं चाहती थी। किंतु बेटी इतने दिनों बाद बिना बताए अकेले ही ,अपने मायके में आ जाए तो शंका होना स्वाभाविक है ,किंतु इसका निवारण नीलिमा ने शीघ्र कर दिया और बोली - धीरेंद्र को छुट्टी नहीं मिली ,इसीलिए मैं अकेली ही ड्राइवर के साथ आई हूं, किंतु शाम को वह आ जाएंगे।
तब घरवालों ने चैन की सांस ली ,उसके पापा की तो कोई प्रतिक्रिया नहीं थी,वे अपनी प्रकृति के मुताबिक़ शांत रहे। देखने से ऐसा लग रहा था ,जैसे वह नहीं चाहते थे कि मैं उनके घर आऊं, किंतु नीलिमा ने अपनी खुशी, प्रसन्नता को आगे रखा। वह खुश ही रहना चाहती थी ,इसीलिए पापा से कुछ भी नहीं बोली -अपनी बहन को भी, फोन करके वहीं बुला लिया। मां ने भी नीलिमा के लिए ,अनेक पकवान बनाए।
बहन के आने का सुनकर चंद्रिका भी प्रसन्न हो घर आ पहुंची किंतु गली में ही किसी गाड़ी को खड़े देखकर समझ गई, कि इसी गाड़ी में नीलिमा आई है। वह तो अब तक पति के स्कूटर पर बैठकर या फिर रिक्शे में ही यहाँ आई है ,खुशी के साथ ही कहीं ईर्ष्या भी ,उसके दिल में के किसी कोने में सुलगने लगी। मन ही मन सोचा -मिलने आई है या अपना पैसा और अपनी गाड़ी दिखाने आई है।
नीलिमा तो अपनी बहन की प्रतीक्षा में ही थी, वह तो अपने परिवार और अपनी बहन से अपनी खुशियां बांटने आई थी इसीलिए बहन को देखते ही ,उससे लिपट गई और रोने लगी।
चंद्रिका पहले तो,उससे गले मिलकर बहुत प्रसन्न हुई, फिर उसके कपड़े गहने देखकर चुप हो गई और बोली -मैं मम्मी के साथ ,उनकी मदद कर देती हूं, तू तो अब मेहमान है , इतने महंगे कपड़े और आभूषण पहन कर तो तू काम करेगी नहीं।
उसका व्यंग न समझते हुए , नीलिमा ने अपनी बहन का हाथ पकड़ कर खींचा और बोली-दीदी ! बात करने के लिए ही तो आपको बुलाया है , खाना तो डिंपी और मम्मी ने बना लिया है। आप मेरे पास यहां बैठो !
चंद्रिका ने देखा, नीलिमा ने गहने और कपड़े तो कीमती पहने हुए हैं किन्तु उसका मन अपनी बहन और परिवार के लिए अभी भी वैसा ही है। तब वह उसके चेहरे पर नज़रें गड़ाते हुए बोली -तू खुश तो है, न.......
खुश नहीं ,बहुत खुश !कहते हुए वह, जो भी सामान अपनी बहन- जीजा ,भाई और मम्मी -पापा के लिए लाई थी ,वह सभी सामान उन्हें दिखाने लगी। तब वह अपने'' स्विट्जरलैंड ''जाने की कहानी सुनाती है।
क्या????? तू'' स्विट्जरलैंड'' गई थी ,मुझसे मजाक कर रही है, चंद्रिका ने आश्चर्य से पूछा।
तभी डिंपी ने भी यह बातें सुन ली और दौड़ते हुए आई और बोली-क्या तुम ''हनीमून'' के लिए ''स्विट्जरलैंड'' गई थीं ? और कमरे में फैले सामान को देखकर ,बाहर भागी अपनी बहन और अपनी मम्मी को भी बुला लाइ। दीदी ! कितना खर्चा आया होगा ? इतने सारे उपहार भी लाई हो, आपकी तो लॉटरी लग गई। इसी तरह न जाने, कितने प्रश्न उन लोगों ने उससे पूछ डालें ? माँ तो बेटी की खुशियां देखकर ,खुशी के कारण रोने ही लगी और उसकी नजर उतारने लगी।
उधर जब, धीरेंद्र अपने ऑफिस से घर आता है और तैयार होता है, तब पल्लवी के सवालों से उसे जूझना पड़ता है। यह सब तुम क्या कर रहे हो ? पल्लवी ने धीरेंद्र से प्रश्न किया।
क्या कर रहा हूं ?धीरेंद्र शीशे में ,अपने बाल बनाते हुए पूछता है।
जैसे तुम कुछ समझते ही नहीं, वह कल की आई लड़की पर ,पैसा पानी की तरह बहा रहे हो , इतनी तो उस लड़की की औकात भी नहीं है जबकि तुम जानते हो ,तुम्हारा बड़ा भाई, किस परिस्थिति से गुजरा है ? और अब उसकी पत्नी ने उस पर दहेज और मारपीट का केस कर दिया है।
तो आप क्या चाहती हैं ,भाई के चक्कर में मैं ,अपनी जिंदगी जीना छोड़ दूं और यह आपने क्या लगा रखा है ? कल की आई लड़की ,भाभी तो इतना पैसा लुटाती थी ,तब तो आपको कोई परेशानी नहीं थी।
तब परिस्थितियाँ अलग थीं ,तुम्हारे पापा की भी नौकरी थी, अब वह सेवा निवृत हो चुके हैं। भाई थोड़ा अभी संभला है किंतु उसके केस के कारण परेशान है। और इधर तुमने जो भी पैसा जोड़ा होगा ,तुम उस लड़की पर लुटा रहे हो। उसके लालची बाप ने एक भी पैसा ,शादी में खर्च नहीं किया सारा पैसा तुम ही ने लगाया। ऐसा क्या है ?उस लड़की में ,जो तुम यह सभी हरकतें कर रहे हो।
जैसे आप जानती ही नहीं ,धीरेंद्र ने मां की तरफ घृणा से देखा।
इसमें मेरी कोई गलती नहीं है, यह बात तुम भी जानते हो ,उसके लिए मैंने मना नहीं किया था। वह स्वयं ही तुम्हारी जिंदगी से गई है। तुमने अपनी हरकतें देखी हैं ,इस बात के लिए, तुम स्वयं जिम्मेदार हो। मुझे दोष मत दो ! मैंने तो उसके न रहने पर ,बस तुम्हें एक सुझाव दिया था किंतु तुमने तो जैसे अपनी जिंदगी को बर्बाद करने का ही ठान लिया है। तब मेरा तो फर्ज बनता है, कि तुम्हें गलत करने से रोकूं। तुम हनीमून के लिए विदेश चले गए न ही ,हमें बताया है और न ही, हमसे पूछा। कितना खर्च किया ?उसके परिवार के लिए भी उपहार लाये हो। देखना !वह लोग सारा सामान रख लेंगे ,चलते समय उसे कुछ भी नहीं देंगे ,मैं पूछती हूं ,यह सब क्या है ?कल को वह तुम्हारा परिवार बढ़ेगा उनके खर्च होंगे, कुछ पैसा तो जोड़ कर रखो !
जोड़कर क्या करना है और किसके लिए ? यह जो जीवन है, इसी में मस्त होकर रहो !जो कुछ भी है ,आज ही है, कल को किसने देखा ? कहकर उसने अपने ,उभर आए अपने दर्द को, परफ्यूम की महक में डुबो दिया। मां को उसी कमरे में अकेले छोड़कर बाहर निकल गया।
यह लड़का ,पता नहीं क्या सोचे बैठा है ?समझाओ तो समझता नहीं है ,घर की परिस्थितियों को समझ नहीं रहा है। पहले तो बड़े घर की बहू ने ,इस घर की 'मिट्टी पलीत' कर दी , रही -सही कसर यह पूरी कर देगा, पल्लवी अपने पति से शिकायत भरे लहजे में बोली।
तुम अभी शांत रहो! मुझे लगता है ,लड़की भली और अच्छी है, वह सब संभाल लेगी। तुम उसे अभी इस घर को, इस घर के लोगों को ,समझने का मौका तो दो !अभी-अभी तो विवाह हुआ है ,मुझे उम्मीद है !जो बिखरा है ,सिमट जाएगा।
पता नहीं ,आप किस दुनिया में खोये हैं ? आंखों देखी भी, आपको नहीं दिख रहा है। घर बर्बादी की तरफ जा रहा है, जो घर ,इतनी मेहनत से एक-एक पैसा जोड़कर बनाया था। वह हमारी आंखों के सामने ही अस्त व्यस्त हो रहा है। मैं इस तरह अपने घर को, बर्बाद तो नहीं होने दूंगी, पल्लवी ने मन ही मन सोचा।
यह बातें धीरेंद्र भी, समझता है, पता नहीं क्यों ?अब उसका मन कुछ भी ,अच्छा करने का नहीं करता ,जो भी करता है ,अपने मन की कड़वाहट को दूर करने के लिए करता है। वह यह भी नहीं समझ पा रहा, अब जिस लड़की के साथ वह अपना जीवन बिता रहा है, उस पर इसका क्या असर होगा ?
धीरेंद्र और उसकी मां में किस लड़की को लेकर बात हो रही थी ? क्या धीरेंद्र की जिंदगी में कोई और भी लड़की थी ? उसके मन में ऐसी कौन सी कड़वाहट थी जिसको वह परफ्यूम की महक में डुबो देना चाहता था, ऐसा कौन सा दर्द था ?जो वह छुपा रहा था। जानने के लिए ,पढ़ते रहिये -ऐसी भी ज़िंदगी