ये कहानी दो सहेलियों की है जो वृंदावन धाम जहां पर सत्संग होता है वहां से जुड़ती हैं और बाद में बहुएं का जुड़ाव, कुछ मध्यम और उच्च स्तर का अंतर और आखिर में दोनों के बच्चों की शादी।
0.0(0)
32 फ़ॉलोअर्स
22 किताबें
यह कहानी बनारस शहर में स्थित गोविंदपुरी में रहने वाली सुलोचना और मनोरमा दो सहेलियों की जो कॉलेज में एक साथ पढ़ती थीं। सुलोचना उम्र 55 वर्ष कद काठी साधारण, रंग सांवला, तीखे नैन नक्श, मध्यम वर्गीय परिवा
मनोरमा प्रातः काल छः बजे स्नान ध्यान पूजा अर्चना कर अपनी अपनी बाई रामरती उम्र 30 वर्ष सरल सौम्य स्वभाव ,अपने पति गोपाल उम्र 32वर्ष के साथ शांतिकुंज में ही कोठी के पीछे बने सर्वेंट क्वार्टर में रहती थी
सुलोचना के डोर बेल बजाते ही उसकी बहु मिताली ने दरवाजा खोला तो उन्हें रूआंसा देखकर उनका हाथ पकड़ कर घर के अन्दर बुलाया और ड्राइंग रूम में सोफे पर बिठा कर पानी पिलाया। पानी पीने के बाद रुंधे गले से चेन