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कुछ तो कहो प्रियंवदा

जया शर्मा प्रियंवदा

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हर चेहरा कुछ ना कुछ कहानियों को संजोता है ,हमारे आसपास बिखरी पड़ी है  कुछ कहानीयों की महक ,हमारी यादो से निकल संवरतीं हैं ,कुछ कहानियां । आसपास कितनी अनकही कहानियां ,उनको शब्दों में पिरोने की छोटी सी कोशिश है मेरी। कहानियों के सफर में मेरे सहयात्री बनकर आप मेरे सफर को यादगार अवश्य बनाएंगे । 

kuch to kaho priyanvada

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