नीलिमा ने पहले पढ़ाई की इच्छा ज़ाहिर की ,उसके पश्चात ,कार सीखने लगी ,जब से उसे वो बाबा मिले तब से पता नहीं ,उसके मन मस्तिष्क में क्या चल रहा है ?कुछ कहा नहीं जा सकता। धीरेन्द्र ने तो उसे ,एक सीधी सी लड़की जान विवाह किया था किन्तु विवाह के पश्चात ,वो पहले से अधिक चपल और चंचल हो गयी है या फिर धीरेन्द्र की सोहबत का असर है। धीरेन्द्र को भी तो ऐसी ही लड़की पसंद थी , तभी तो वो कॉलिज के समय में टीना पर मर मिटा था। उसके लिए कुछ भी करने को तैयार था अपने को बदलने के लिये भी तैयार था। टीना और तान्या ने भी ,नोटिस किया कि अब धीरेन्द्र नाम का ये लड़का ,उनकी नजरों में आने लगा है। टीना के ख़्यालों में भी घूम आता है। किन्तु दोनों ही ,एक -दूसरे से कुछ भी नहीं कह पाते हैं।
आस्था भी उसकी और झुकती है किन्तु किस हद तक ,ये अभी तक कोई नहीं जानता किन्तु प्रेरणा तो उनकी चाहत के मज़े लेना चाहती थी और उसी ने उन दोनों को उकसाया कि तुम दोनों में जो भी उसे अपनी ओर आकर्षित कर लेगी, उसी की जीत होगी।
प्रेरणा और तान्या ,उसके इस मज़ाक में शामिल हो गयीं। अच्छा ये बताओ ! उसे क्या पसंद है और क्या नहीं ?तान्या ने प्रेरणा से प्रश्न किया।
मैं क्या जानूँ ?वो मेरी कक्षा में पढ़ता है ,उसका इतिहास नहीं पता ,मेरी उससे इतनी ज्यादा दोस्ती भी नहीं है ,प्रेरणा ने टका सा जबाब दिया।
तब तुम उससे दोस्ती करने के लिए ,हमें क्यों उकसा रही थीं ?टीना ने प्रश्न किया।
वो तो तुम लोगों की बात ,सुनकर मैंने भी कह दिया। मैं तो उसे प्रतिदिन देखती हूँ ,मुझे तो उसमें कुछ विशेष नजर नहीं आया।आता तो सबसे पहले ,मैं ही उससे दोस्ती करती।
टीना चिढ़ गयी ,ये क्या बात हुई ?अब हमारा निर्णय ये लेगी ,हमें किससे दोस्ती करनी है ,किससे नहीं ?हमें जिससे भी दोस्ती करनी होगी, तुमसे नहीं पूछेंगे। हमें क्या और कौन पसंद आता है ?ये हमारा अपना निर्णय होगा। वो तान्या का हाथ पकड़कर ,उसके पास से आ गयी। क्या समझती है ?हम उसके बहकाये में आ जायेंगे ,इस जैसी लड़कियां ही तो आपस में लड़वाकर दोस्ती तुड़वा दें। अभी वो ये सभी बातें कर ही रही थी ,उसे धीरेन्द्र कॉलिज के अंदर आता दिखा उसने भी टीना को अपनी सहेली के साथ देख लिया था , वो भी मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ गया। दोनों ही एक -दूसरे को देखते हैं किन्तु पहल कौन करे ?
एक दिन ,एक लड़का टीना के पास आया और बोला आहूजा सर ने बुलाया है।
क्यों ???
मुझे नहीं मालूम ! जाकर उन्हीं से पूछ लो !
टीना सर के पास गयी ,जी सर ! अपने बुलाया।
ओह ,टीना ! मैंने ही तुम्हें बुलाया है,कॉलिज का वार्षिकोत्सव है उसमें तुम्हे भी हिस्सा लेना चाहिए।
जी ,मैंने अभी तक कोई अभिनय नहीं किया , इसका मुझे कोई अनुभव नहीं ,वैसे मुझे क्या करना होगा ?
तुम्हें रूपसी शकुंतला बनना है।
ये कौन थी ?मैंने इसके विषय में कभी नहीं पढ़ा।
आहूजा सर ,हँसे और बोले -अँग्रेजी उपन्यास और चलचित्रों से हटकर कभी अपनी पौराणिक कथाओं पर भी ध्यान दिया करो , कहकर उन्होंने एक पुस्तक उसके हाथ में थमा दी।इस पुस्तक में शकुंतला और दुष्यंत के प्रेम की कहानी है। कैसे वो दुष्यंत से प्रेम करती है ?और दुष्यंत उसे भूल जाता है।
नहीं सर ,मैं ऐसा कोई अभिनय नहीं करूंगी जिसमें उसका प्रेमी उसे भूल जाता है।
ये क्या बात हुई ?कभी तुमने इस कहानी को पढ़ा है ,शकुंतला के प्रेम को समझा है ,वो तो दुष्यंत के प्रेम में अपने आपको ही भूल जाती है ,उसके प्रेम की गहराई को समझो। उसका प्रेमी उसे भूलता नहीं है ,वरन परिस्थिति ऐसी आ जाती हैं ,बल्कि उसे तो श्राप के कारण ही उसे भूल जाता है किन्तु जब उसे सब स्मरण होता है तब उस पर क्या बीतती है ?ये तुम्हें पता चलेगा ,इसे पढ़ो !और महसूस करो। सर के कहने पर ,वो उस पुस्तक को अनमने मन से ले आती है।
सर !आपको क्या लगता है ? ये कर पायेगी प्रवीण ने पूछा।
करेगी और शकुन्तला को अच्छे से निबाहेगी भी ,जो कमी रह जाएगी ,वो हम उसे बताएंगे।
प्रवीण धीरेन्द्र के पास जाता है और उससे कहता है -तुम्हारा कार्य पूर्ण हो गया। मुझे नहीं लगता वो कुछ कर पायेगी क्योंकि उसे तो उस कहानी के विषय में कुछ भी नहीं मालूम, फ़िलहाल उसे सर ने एक पुस्तक दे दी है जिसे वो पढ़ेगी।
अब देखो !वो पढ़ेगी भी ,और अभिनय करते -करते ,मेरे प्रेम को भी समझेगी। वैसे मैंने उसमें एक बात देखी है ,उसमें अपने रूप को लेकर या पता नहीं ,उसमें अकड़ बहुत है। जो भी हो ,अच्छी तो लगती है ,उसकी इसी अदा पर तो हम मर मिटे हैं। किसी ने क्या खूब कहा है -
''ख़ुदा जब हुस्न देता है ,नज़ाकत आ ही जाती है। ''
टीना घर जाकर उस किताब को रख देती है ,वो कुछ परेशान सी है ,सोच रही है ,मैंने तो आज तक कभी अभिनय नहीं किया। पता नहीं ,सर को भी न ,क्या सुझा ? शकुन्तला के रोल के लिए ,मुझे ही चुना। खाना खाकर ,आराम करने के लिए लेटती है ,तभी उसकी नजर उस पुस्तक पर पड़ जाती है और वो उसे उठाकर पढ़ने लगती है। पढ़ते -पढ़ते पता नहीं ,उसे कब नींद आ गयी ? वो देखती है घोड़े पर सवार कोई आ रहा है और वो उसे देखने की कोशिश करती है किन्तु उसका चेहरा उसे दिखाई नहीं पड़ रहा। वो घुड़सवार उसके आगे से निकल जाता है किन्तु उसका चेहरा तब भी दिखलाई नहीं दिया। तब टीना उसके पीछे भागती है और उसका पीछा करती है। जब उसे लगता है ,वो घुड़सवार बहुत आगे निकल गया तब और तेज़ दौड़ती है और बुरी तरह हांफने लगती है। उसके मुँह से शब्द भी नहीं निकल रहे बेचैनी की हालत में उसकी आँखें खुलती हैं। तब वो अपने को अपने बिस्तर पर पाती है। आज मुझे इस तरह का स्वप्न क्यो आया? कुछ भी समझ नही आ रहा, मैं उसके पीछे क्यों भाग रही थी ? सच में ही उसका दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था। उसने पास रखे जग से, पानी पिया और अपनी सवांसों को संयत कर पास रखी पुस्तक उठाकर पढ़ने का प्रयास करने लगी।
क्या टीना वो पुस्तक पढ़ पायेगी या नही, पढ़ेगी तो आगे क्या होगा? क्या वो नाटक में अभिनय करेगी या नहीं जानने के लिए पढ़ते रहिये -ऐसी भी ज़िंदगी