टीना और धीरेंद्र की दोस्ती को छह माह हो गए ,धीरेन्द्र टीना की दोस्ती के लिए कुछ भी, करने को तैयार हो जाता है और अपने पापा से भी यही वायदा करता है।किन्तु उसके दोस्त तो जैसे ,उसकी ज़िंदगी को बर्बाद करने की साज़िश में लगे थे। उसे गाहे -बगाहे पकड़ ही लेते। वे उसका पीछा नहीं छोड़ना चाहते थे क्योंकि वो उन्हें अपने पैसों की अकड़ दिखाता ,और वे उस अकड़ का लाभ भी उठाते। उससे ही सारा खर्चा करवाते। जब तक टीना से उसकी दोस्ती नही हो गयी , तब तक तो वो परेशान रहता था ,उसकी मोहब्बत के लिए आहें भरता था। अब वो उससे छिपकर ,अपने दोस्तों से मिलता और अपना पीने का शौक भी पूरा करता।
एक दिन बातचीत से ,वो जान गया था कि टीना का उसे विद्रोह झेलना पड़ सकता है। टीना एक दिन ,धीरेन्द्र के साथ दूर वादियों में निकल जाना चाहती थी।वे एक -दूसरे के साथ ही समय व्यतीत करना चाहते थे। कुछ देर के लिए दोस्तों ने बुला ही लिया। यार...... घूमने जा रहे हो ,मजे करना है तो पूरी तरह से ही करना। धीरेन्द्र ने भी दो पैग लगा ही लिए। हेलमेट से ,अपना चेहरा छुपा लिया। टीना बेहद प्रसन्न थी। उनकी दुपहिया तेज गति से,आगे बढ़ती चली जा रही थी। टीना ने ,कसकर धीरेन्द्र को पकड़ा हुआ था। शहर से बाहर आते ही , उसने गाड़ी के दोनों तरफ पैर रखे और धीरेन्द्र की पीठ से चिपक गयी। धीरेन्द्र उसके स्पर्श को महसूस कर रहा था।दोनों एकदम शांत थे , किन्तु उनके दिलों की धड़कने एक -दूसरे को महसूस हो रही थीं। वातावरण बहुत ही खुशनुमा था दोनों तरफ हरियाली लिए पेड़ ,सुबह की ठंडक टीना के चेहरे को छू रही थी। तब टीना ने अपने गाल भी उसकी पीठ से सटा दिए।
तब एकाएक ,टीना बोली -तुमने घर में ,क्या बताया ?
मैं तो साफ कहने वाला व्यक्ति हूँ ,पापा को तो मैंने पहले ही बता रखा था कि मेरी एक दोस्त है ,आज बताया उसके के साथ ''लॉन्ग ड्राइव ''पर जा रहा हूँ।
क्या ,तुमने मेरे विषय में अपने पापा से बात की ? और उन्होंने कुछ नहीं कहा।
मैं अपने पापा से कुछ नहीं छिपाता ,हम दोनों तो एक दोस्त की तरह ही बातें करते हैं। तुम्हारे विषय में तो मैंने ,उन्हें तभी बता दिया था ,जब हम साथ में ''प्ले ''कर रहे थे।
शरमाकर टीना के गाल लाल हो गए और क्या बताया ?उन्हें मेरे विषय में.........
यही कि पापा एक लड़की है ,टीना.... जो आपके बेटे के पीछे पड़ी रहती है ,और मुझसे मोहब्बत का दम भरती है। अब आपका बेटा है ही इतना ''हैंडसम ''
चल झूठे ,मैं तुम्हारे पीछे पड़ी थी या तुम मेरे पीछे पड़े थे ,टीना ने मुस्कुराते हुए पूछा।
हाँ - हाँ दोनों ही ,एक -दूसरे के पीछे पड़े हुए थे ,किन्तु पापा से ऐसे थोड़े ही कहता।
तब उन्होंने क्या कहा ?
कहना क्या था ?उनका बेटा किसी की ख़ूबसूरती में खो गया ,वो वैसे ही बेचारा हो गया तब,उस बेचारे से क्या कहते ?वो तो अपने आप को ही खो बैठा ,ऐसे लोगों से कोई कुछ नहीं कहता,वे तो बस हमदर्दी के लायक़ ही हो जाते हैं ,उनसे हमदर्दी ही की जा सकती है।
ओ बेचारे..... जरा रुको !
धीरेन्द्र ने अपनी दुपहिया रोक दी और पीछे मुड़कर देखते हुए बोला -क्या हुआ ?
बेचारे ,का चेहरा देखना चाहती थी ,अब ऐसे चलते ही रहोगे या कुछ खाएंगे -पिएंगे भी या नहीं ,कहकर टीना उसकी बाइक से उतर गयी। सामने ही ढाबा था ,दोनों ने ,पेट भरकर नाश्ता किया और आगे बढ़ गए। अब वे पहाड़ी इलाके से गुज़र रहे थे। तभी पीछे से कुछ लड़कों से भरी एक जीप ,उनके बराबर से निकली। वे बहुत ही हो -हल्ला कर रहे थे। टीना और धीरेन्द्र को देखकर ,अपनी गाड़ी की रफ़्तार धीमी की , तभी एक ने गाना गाया -''आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा ,आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा। ''
टीना धीरेन्द्र से बोली - ये लोग मस्ती में है ,इनसे अपनी गाड़ी आगे निकाल लो।
धीरेन्द्र ने अपनी मोटरसाइकिल की रफ़्तार तेज़ कर दी और आगे निकल गया। अब तो जैसे उन्हें ,मजा आया या अपनी बेइज्जती लगी उन्होंने भी अपनी गाडी की रफ़्तार बढ़ा दी और उनके करीब आ गए। तब धीरेंद्र ने अपनी दुपहिया की रफ़्तार कम कर ली। टीना के कहने पर, कि इन्हें ही आगे निकल जाने दो। वो ये सोचकर ड़र रही थी ,यदि झगड़ा हो गया तो....... ये लोग चार -पांच हैं और हम दो। किन्तु वे भी उन्हीं के साथ -साथ चलने लगे। धीरेन्द्र ने उनके एक साथी से कहा भी -क्या बात है ? चाहे अपनी गाड़ी आगे निकाल लो या फिर हमें आगे जाने दो।
हम तुमसे कुछ कह रहे हैं ,हमारी मर्जी चाहे हम आगे जाये या फिर पीछे ,हमने तुमसे तो कुछ नहीं कहा।
तब टीना ने एक मोड़ पर ,धीरेन्द्र से रुकने के लिए कहा। वो रुक भी गया ,टीना ने उससे ''हेलमेट ''भी माँगा।
क्यों ?
तुम दो तो सही !!कहकर टीना ने हेलमेट पहना और मोटरसाइकिल पर आगे बैठकर धीरेन्द्र से बोली -बैठो !धीरेन्द्र यत्रवत सा उसके पीछे बैठ गया। वो लोग इन दोनों की प्रतीक्षा में ,आगे अपनी गाड़ी रोककर खड़े हो गए। तभी टीना तेजी से उनके सामने से तेजी से निकल गयी। वे सभी यह देखकर हतप्रभ रह गए। और वे भी अपनी गाड़ी में बैठे। टीना ने रफ़्तार बहुत तेज कर रखी थी ,उसका सोचना था ,किसी तरह इन लोगों की पहुंच से आगे निकल जाएँ। आज पहली बार धीरेन्द्र ने टीना को दुपहिया चलाते देखा। वो तो इतना आश्चर्य चकित था कि कुछ समझ ही नहीं पाया कि टीना इतनी तेज़ रफ़्तार भी पसंद करती या इतनी तेज रफ्तार से गाड़ी भी चलाती होगी।लगभग आधा घंटे तक वो इसी तरह उसकी दुपहिया चलाती रही ,वो लोग अब कहीं नहीं दिख रहे थे। तब टीना ने मोटरसाइकिल रोकी और बोली -कैसी रही ? मुझे लगता है ,शायद उन्होंने अपना रास्ता बदल दिया ,अब तो कहीं नहीं दिख रहे।
तुम इतनी तेज ''ड्राइविंग ''करती हो ,क्या तुम्हें गाड़ी चलानी आती थी ?
आती थी ,नहीं आती है। आज तुम्हें मेरा नया रूप देखने को मिला ,मेरे विषय में नई जानकारी मिली। ज़नाब ! मैं गाड़ी भी चला लेती हूँ।
तुमने पहले तो नहीं बताया।
यदि पहले बता देती ,तब ये तुम्हारे चेहरे पर जो भाव आ रहे हैं ,वो कैसे देख पाती ?
मैं तो आराम से इसीलिए चला रहा था ,ताकि तुम्हें किसी तरह की परेशानी न हो ,तेज रफ़्तार से कभी तुम ड़र न जाओ !
टीना मुस्कुराकर बोली -देखो ! मेरे चेहरे पर कितनी घबराहट है ?घबराहट के कारण ,मुझे तो भूख भी लग गयी।
क्या..... अभी तो कुछ देर पहले ही खाया था ,इतनी जल्दी भूख भी लग गयी, धीरेन्द्र बोला।
कुछ देर पहले ,उस बात को डेढ़ घंटा हो गया। तब हल्का नाश्ता किया था अब खाना खाना है कहकर वो आगे बढ़ गयी।
कितनी पेटू हो तुम ? ये भी आज ही पता चला ,देखने में तो नहीं लगतीं कि तुम खाती भी हो।
अभी हम ,एक झरना देखने जायेंगे ,मैंने उसके विषय में पढ़ा है और वहाँ तक पहुंचने के लिए ,अभी दो घंटे लगेंगे। तब तक कोई खाना नहीं समझे , कहकर वो आगे बढ़ गयी।
धीरेन्द्र टीना को समझने का प्रयत्न कर रहा था कि इसके अंदर लड़की होने के सिवा और क्या -क्या गुण छिपे हैं ?
क्या धीरेंद्र टीना को समझ पायेगा, क्या टीना की सोच पर खरा उतरेगा? क्या उनका यह रिश्ता इसी तरह जारी रहेगा ? जानने के लिए पढ़ते रहिये -ऐसी भी ज़िंदगी