नीलिमा के मायके में ,उसकी मम्मी सुबह की चाय बना रही हैं , नीलिमा के पापा बाहर से घूमकर अभी आये हैं। अभी घर के और सदस्य उठे भी नहीं ,घर में शांति है ,तभी बड़े जोरों से फोन की घंटी बजती है। सुनसान वातावरण को चीरती हुई ,उस फोन की घंटी की आवाज दूर तक सुनाई दे रही है। उसके पापा उठे ,तभी अपनी पत्नी को देखकर बोले -देखना तो ,सुबह - सुबह किसका फोन आ गया ? वे फोन की तरफ बढ़ीं और रिसीवर उठाकर बोलीं - हैलो ! शायद उनसे कोई कुछ कह रहा था ,तभी उनके मुख से निकला हाय...... और उसने हाथ से फोन छूट गया , वहीं पास पड़ी कुर्सी पर गिर गयीं।
क्या हुआ ,किसका फोन था ?वे झुंझलाते हुए ,उनके करीब आये तो देखा वो तो जैसे अपनी चेतना खो चुकी थीं ,वो कुर्सी पर निढ़ाल पड़ी थीं।
पार्वती... पार्वती क्या हुआ ? डिम्पी...... ओ डिम्पी.. ! कहकर अपनी पत्नी की ओर झुके ,तभी उन्हें फोन का रिसीवर लटका हुआ दिखा। उन्होंने उसे हाथ में लिया और अपने कानों से लगा दिया ,हैलो !
उधर से आवाज़ आ रही थी , हैलो ,हैलो ! जी मैं हरिद्वार थाने से बोल रहा हूँ।
जी कहिये !
क्या आप तरुण जी बोल रहे हैं ?
जी ,आप कौन ?
जी मैं , थाने से बोल रहा हूँ ,हवलदार चेतराम !
जी कहिये !
सर !आपको यहाँ थाने में आना होगा।
क्यों ,क्या हुआ ?
वो पहले तो कुछ देर चुप रहा ,फिर बोला -''धीरेन्द्र सक्सैना '' क्या आपके दामाद हैं ?
जी...... हाँ ,क्यों उन्होंने क्या किया ?
जी ,उन्होंने कुछ नहीं किया ,बस आपको यहाँ आना होगा।
तरुण जी ,ने सोचा -शायद धीरेन्द्र ने मेरी बेटी नीलिमा के साथ तो ,कुछ नहीं कर दिया ,सोचकर ही सिहर उठे ,फिर नीलिमा की माँ ,कैसे बेहोश हो गयी ?आखिर बात क्या है ?सोचकर उन्होंने चेतराम से पुनः पूछा -क्या बात हुई है ,किन्तु तब तक फोन कट चुका था।
डिम्पी भी आकर खड़ी हो गयी और बोली -जी ताऊजी !
देख !अपनी ताई को ,इसे क्या हुआ है ?जा..... अपनी मम्मी को बुला ला और थोड़ा सा पानी भी ले आ !
वो दौड़कर रसोईघर में गयी और पानी ले आई ,पानी तरुण के हाथ में देते हुए बोली -इन्हें क्या हुआ ?
पता नहीं ,किसी का फोन सुन रही थी ,तभी बेहोश हो गयी ,उनके मुँह पर पानी के छींटे मारते हुए बोले।
आप तो फोन पर थे ,मैंने देखा जब मैं आई थी ,तब आप भी तो फोन पर ही थे ,कहाँ से फोन आया था ?
हरिद्वार से।
क्या ? दीदी के यहाँ से ,डिम्पी चहकते हुए बोली।
नहीं ,पुलिस थाने से.......
क्यों , वहां की पुलिस हमें क्यों फोन करने लगी ?क्या कुछ हुआ हैं ?वहां !
तब तक डिम्पी के मम्मी -पापा भी आ चुके थे ,ये तो नहीं मालूम किन्तु वहां की पुलिस ने बुलाया है।
भाभी जी ! को क्या हुआ ? तरुण के छोटे भाई ने पूछा।
पता नहीं , फोन आया था ,मैंने इससे कहा जाकर फोन सुनने के लिए , इसकी तो किसी से इतनी बात भी नहीं हुई ,बस मैंने इसको इस तरह कुर्सी पर निढाल होते देखा। जब मैंने फोन उठाया तो वहां की पुलिस हमें वहां बुला रही है।
पुलिस के बुलाने पर तो ,भाभीजी ,इस तरह बेहोश नहीं होंगी ,अवश्य ही कोई घटना घटी है। कहीं हमारी नीलिमा के संग उसके ससुराल वालों ने तो कुछ...... आगे वो कह नहीं सकी ,चुप होकर पार्वती को पुकारा -भाभी ,भाभीजी ! उठिये !क्या हुआ ?अब तो डिम्पी की मम्मी को भी चिंता हुई और अपने पति से बोली -आप ही ,हरिद्वार फोन करके पूछ लीजिये ,क्या हुआ ?
किसे फोन करूं ?
ये क्या बात हुई ? दामाद जी को ही फोन कीजिये और किसे फोन करेंगे ?तब तक घर के छोटे -बड़े सभी इकट्ठा हो चुके थे।
तरुण जी बोले -मैंने फोन किया था किन्तु उन्होंने भी फोन नहीं उठाया ,सोच रहा हूँ ,पार्वती की तरफ इशारा करते हुए ,ये होश में आये ,तब पता चले इसे क्या हुआ ? घबराते हुए से बोले -अरे मयंक !क्या अभी तक डॉक्टर को लेकर आया या नहीं। सुबह -सुबह न जाने घर में ,कैसी अनहोनी सी आई है ?
तभी डॉक्टर को लेकर मयंक भी आ गया और उसी के पीछे चंद्रिका भी अपने पति के साथ घर में प्रवेश करती है। उसका चेहरा उदास था ,उसको देखकर सभी के मन में एक साथ कई प्रश्न उठे।
दीदी ! इतनी सुबह -सुबह आपका आना कैसे हुआ ?
डिम्पी की बात सुनकर भी वो चुप रही और अपनी मम्मी की हालत देखकर बोली -इन्हें क्या हुआ ?
सुबह -सुबह कोई फोन आया और ये बेहोश हो गयीं किन्तु तुम आज इतनी सुबह यहाँ कैसे ?उसकी चाची ने प्रश्न किया।
तरुण जी अपने भाई और दामाद के साथ बैठक में चले गए ,डिम्पी उनके लिए पानी लेने चली गयी। डॉक्टर ने पार्वती को देखा और बोला -इन्हें गहरा सदमा लगा है ,मैंने इन्हें इंजेक्शन दे दिया है ,कुछ ही देर में इन्हें होश आ जायेगा। वो कुछ दवाई देकर और अपनी फ़ीस लेकर चला गया।
तब चंद्रिका की चाची बोली -कोई हमें भी कुछ बताएगा ,क्या हो रहा है ?इधर दीदी बेहोश हो गयीं ,तुम सुबह -सुबह घर आ गयीं। उधर से फोन आया है ,तुम्हारे पापा को पुलिस ने बुलाया है , हुआ क्या है ?
हुआ नहीं ,हो गया चाची ! धीरेन्द्र का देहांत हो गया ,अब वो इस दुनिया में नहीं रहे ,हमारी नीलिमा विधवा हो गयी कहकर वो जोर -जोर से रोने लगी।
क्या..... कहकर चाची भी ,पास पड़े दिवान पर जा बैठी ,उसे भी जैसे विश्वास नहीं हुआ। कब ,कैसे ? तुझे कैसे पता चला ?
मुझे तो नीलिमा का ही फोन आया था ,बड़ी रो रही थी बेचारी ! मुझे लगता है ,तभी मम्मी को भी फोन किया होगा ,जिसे सुनकर मम्मी बेहोश हो गयीं।
बात को समझने का प्रयास करते हुए ,चाची बोली -ओह !तभी ये बेहोश हुई होंगी। कैसे ,क्या हुआ ?क्या धीरेन्द्र बीमार था ?नीलिमा ने और कुछ बताया।
नहीं , वो तो ये बात भी बड़ी मुश्किल से ही कह पाई ,बड़ी रो रही थी। चंद्रिका ने भी रोते हुए कहा।
तभी पार्वती की कराहने जैसी आवाज गुंजी ,मेरी बच्ची !
शायद ,मम्मी को होश आ रहा है।
मम्मी ,मम्मी..... अब तबियत कैसी है ?
उन्होंने आंखें खोलकर देखा ,सामने चंद्रिका खड़ी थी ,उसे देखकर उनकी रुलाई फूट पड़ी , रोते हुए बोलीं - चंद्रिका तेरी बहन...... कहकर वो जोर -जोर से रोने लगीं। अपनी माँ के गले लगकर चंद्रिका भी रोने लगी ,उनका रोना सुनकर , बैठक में से उसके पापा और चाचा चंद्रिका के पति के साथ आ खड़े हुए।
तब वो बोला -मुझे लगता है ,इन्हें भी वही फोन आया होगा जिसे सुनकर,मम्मी जी बेहोश हुई होंगी।
अजी ,ऐसा कैसे हो सकता है ? सुबह -सुबह किसी ने मज़ाक किया होगा ,परसों ही तो मेरी उनसे बात हुई थी ,न ही बीमार ,न ही कोई बात ,ऐसे सब अचानक उन्होंने अविश्वास से कहा।
इतनी सुबह -सुबह कौन मज़ाक करेगा ?मैंने तो दुबारा फोन भी किया किन्तु कोई फोन,उठा ही नहीं रहा है
भाईसाहब ! कुछ बात तो अवश्य है ,पुलिस तो मज़ाक नहीं करेगी ,तरुण के भाई ने कहा। इस बात में कितनी सच्चाई थी? या ये सब झूठ था या फिर तरुण जी को पुलिस ने क्यो बुलाया है? जानने के लिए पढ़ते रहिये - ऐसी भी ज़िंदगी