क्या मैं अंदर आ सकता हूँ ? इंस्पेक्टर विकास खन्ना चम्पा से पूछता है।
जी आप कौन ?
आज मैंने अपनी यूनिफॉर्म नहीं पहनी ,इसीलिए तुम मुझे पहचान नहीं पाओगी ,मैं ''इंस्पेक्टर विकास खन्ना'' हूँ।
दीदी ,तो यहाँ नहीं है , वो तो अपनी संस्था के किसी काम से बाहर गयीं हैं , चम्पा हिचकिचाते हुए बोली।
मैं जानता हूँ , किन्तु मैं उनसे नहीं ,तुमसे ही मिलने आया हूँ।
मुझसे...... उसने आश्चर्य से पूछा।
हाँ ,तुम यहाँ बैठो ! तुमसे मुझे कुछ बात करनी है ,विकास सीधे -सीधे मुद्दे की बात पर आता है ,तुम इतने दिनों से पुलिस स्टेशन में फोन कर रहीं थीं। तुम कैसे कह सकती हो ? तुम्हारे साहब का खून हुआ है।
विकास के इस तरह सीधे -सीधे प्रश्न करने पर ,चम्पा की हालत खराब होने लगी ,उस समय घर में कोई नहीं था ,फिर भी वो इधर -उधर देखती है। उसके पसीने छूटने लगे बोली -केेसा फोन...... ?मैंने तो कोई फो... न.... नहीं किया, घबराते हुए ,वो बोली।
अच्छा फिर किसी और ने किया होगा ,विकास लापरवाही से बोला। मैं यहाँ शायद ,गलती से आ गया ,जरा एक गिलास पानी मिलेगा। वो थोड़ी आश्वस्त हुई और पानी लेने अंदर चली गयी। विकास घर को ध्यान से देखने लगा। एक नौकरानी के ऊपर पूरा घर छोड़ा हुआ है।
चम्पा पानी ले आई -लीजिये !
विकास को पानी की इच्छा तो नहीं थी ,फिर भी जब मंगाया है ,तो पी लेता है , तुम यहाँ कब से काम कर रही हो ?
जी.... जब मैं ,पंद्रह बरस की थी।
कहाँ तक पढ़ी हो ?
जी ,दीदी ने ही ,आठंवीं तक पढ़ाया।
आगे नहीं पढ़ीं ! विकास के इस प्रश्न पर वो नीचे देखने लगी।
अब तो तुम्हारी काफी उम्र हो गयी ,तुम्हारे घरवालों ने तुम्हारा विवाह नहीं किया।
जी.... वो तो कर रहे थे ,किन्तु दीदी ने कहा -वो लड़का मेरे लायक़ नहीं था।
क्यों ,क्या वो लड़का तुम्हारे माता -पिता ने नहीं देखा था ?
जी... देखा था ,किन्तु दीदी ने मना कर दिया ,ये सही नहीं है। फिर पता नहीं ,दीदी ने ऐसा क्या कहा ?वो ही भाग गया।
विवाह तुम्हें करना था ,तो फ़ैसला दीदी क्यों ले रही थी ?
पता नहीं ,कह रहीं थीं ,मैं तुम्हारे अच्छे के लिए सोच रही हूँ।
क्या सारी उम्र ,दीदी के घर में ही काम करती रहोगी ? ख़ैर छोडो !तुम्हारे साहब की मौत कैसे हुई ?
उनकी तो रेल से दुर्घटना हुई थी।
उस समय तुम कहाँ थीं ?
मैं तो यहीं थी ,घर पर.....
क्यों ,तुम अपने घर नहीं गयीं ?क्या ,तुम रात्रि को भी यहीं रहती हो ?
नहीं ,रात्रि को तो मैं चली जाती हूँ ,किन्तु दीदी ने, उस रात को मुझे रोक लिया था ,कह रहीं थीं -उन्हें किसी काम से बाहर जाना है , शायद अथर्व के डॉक्टर से मिलने जाना है ,कह रहीं थीं।
उस समय क्या बजा था ? यही कोई आठ बजे होंगे।
क्या आठ बजे ,यहाँ से निकली ?विकास ने उसके उत्तर को दोहराया। किस डॉक्टर से मिलने गयीं थीं ?
जी, वो तो मुझे नहीं मालूम !
तुम्हें इतने बरस, यहाँ काम करते हो गए ?आज तक तुम नहीं जान पाईं कि अथर्व का इलाज किस डॉक्टर से चल रहा है ?
मैं तो यहाँ ,काम में ही रहती हूँ ,उस रात्रि भी ,मैं अथर्व के लिए ही रुकी थी।
यानि अथर्व यहीं तुम्हारे पास था।
जी....
तब वो किससे मिलने गयी थी ? कुछ सोचते हुए ,विकास कहता है ,तुम्हारे साहब अपने घर कितने बजे गए थे ?
वो तो छह बजे ही निकल गए थे ,दीदी ने ही अपना हिस्सा मांगने के लिए ,जबरदस्ती उन्हें उनके घर भेजा था।
क्या ,वो अपना हिस्सा लेना नहीं चाहते थे ?
जी..... वो तो मना कर रहे थे ,तब दीदी ने ही कहा - अपने मम्मी -पापा से भी आपका मिलना हो जायेगा।
तुम यहाँ ,कितने बजे तक काम करती हो ?
आठ बजे खाना बनाती हूँ ,सारा सामान समेटने में मुझे नौ तो बज ही जाते हैं।
तुम्हारे साहब का व्यवहार केेसा था ?
वो तो बहुत ही खुशमिज़ाज ,अच्छे थे।
क्या कभी -कभी परेशान होते थे या तुम्हारी दीदी से उनका कभी झगड़ा हुआ था।
उसके इस प्रश्न पर चम्पा बोली -जी मैं नहीं जानती ,कहकर उसने नजरें नीची कर लीं। विकास ने देखा ,उसके रहन -सहन से नहीं लगता वो इस घर की नौकरानी है। उसके बाल भी चमकदार थे ,शायद बहुत पहले रंग भी करवाया हो। ये तुम्हें कपड़े कौन दिलवाता है ? तुम्हारी दीदी !
जी नहीं ,ये तो बहुत पहले साहब ने ही दिलवाये थे।
विकास कुछ देर तक उसे यूँ ही देखता रहा और बोला -तुम्हारे साहब, तुमसे कैसा व्यवहार करते थे ?
ठीक थे।
चलो ,एक बात और बताओ !उस रात्रि तुम्हारी दीदी कितने बजे आई ?
जी ..... उस रात्रि बच्चे और मैं दीदी का इंतजार करते सो गए थे , जब दीदी आईं ,शायद बारह बजे...... होंगे।
तभी नीलिमा घर में प्रवेश करती है , अरे..... इंस्पेक्टर साहब !आप यहां ! नीलिमा ने मुस्कुराते घर में प्रवेश किया। कहिये ! कैसे आना हुआ ?
कुछ नहीं ,मैं इधर से गुज़र रहा था ,सोचा -आपसे मिलता चलूँ ,किन्तु देखा ,आपने तो अपना सारा घर एक नौकरानी के ऊपर ही छोड़ रखा है। क्या आपको उस पर इतना विश्वास है ?
जी ,जब ये बहुत छोटी थी ,तभी से यहाँ रह रही है ,रही बात विश्वास की ,वो तो किसी न किसी पर करना ही होगा।ख़ैर.... चाय या कॉफी ! क्या लेंगे ? आप !
जी मैं ,कुछ नहीं लूँगा ,अब चलूँगा।
नहीं -नहीं ,जब आप आएं हैं तो.. कुछ तो लीजिये।
जी ,कॉफी मंगवा लीजिये ,वैसे इस वक़्त तो आप अपनी संस्था में होती हैं ,फिर यहाँ कैसे ?
इंस्पेक्टर की बात पर नीलिमा मुस्कुराई ,वो ही तो मैं भी कह रही हूँ ,जब आपको मालूम है ,मैं इस वक़्त संस्था में होती हूँ ,तब आप मुझसे मिलने वहां क्यों नहीं आये ?
नीलिमा की बात को सुनकर ,इंस्पेक्टर विकास क्या कहता ?मैं आपका ......
वो कुछ कहता उससे पहले ही ,चम्पा कॉफी ले आई ,साहब ,कॉफी !
ठीक है ,तुम कॉफी रखो और जाओ ! देखो !छत पर कपड़े सूख गए या नहीं ,नीलिमा ने चम्पा से कहा।
चम्पा के जाने के पश्चात ,विकास नीलिमा से पूछता है -आपके बेटे का इलाज़ किस डॉक्टर से चल रहा है ?
जी ,अब तो कोई इलाज नहीं चल रहा ,बस इसको योग करने ,टहलने और भी कई चीजों को इसे सिखाने का प्रयास करती हूँ।
ये तो अच्छी बात है ,किन्तु इससे पहले किस डॉक्टर को दिखाया था ?
जी 'कल्याण नगर ''में ,डॉक्टर 'कपिल 'हैं ,उन्हीं के यहाँ उसका इलाज चला था।
वो तो यहाँ से आधा घंटा दूर है।
जी आप ठीक कह रहे हैं ,नीलिमा ने समर्थन किया ,वैसे आप ,ये सब क्यों जानना चाहते हैं ?
हमारे जानने वाले कोई मित्र हैं ,वे पूछ रहे थे ,इस तरह का कोई डॉक्टर नजर में हो तो बताना ,इसीलिए सोचा -आपसे पूछ लूँ ,धन्यवाद !आपकी कॉफी के लिए ,अब चलता हूँ ,कहकर विकास बाहर आ जाता है।