इंस्पेक्टर विकास ,नीलिमा के रहने पर , उसके घर आता है ,वो चम्पा के माध्यम से ,कुछ जानकारी चाहता है ,कुछ देर पश्चात ,नीलिमा भी आ जाती है ,उसने अपने घर में कैमरा लगाया हुआ था ,ताकि हर आने -जाने वाले पर निगाह रख सके ,उसने अपने फोन में देखा ,कोई उसके घर में दाख़िल हुआ है। तभी वो अपनी संस्था का कार्य छोडकर , घर आ जाती है। जब विकास उससे पूछता है ,कि इस वक़्त तो आप अपनी संस्था में होती हैं , इस समय घर में कैसे ?उसकी बात का जबाब देने से पहले ,नीलिमा ही उससे प्रश्न पूछ बैठती है -वो ही तो मैं जानना चाहती हूँ ,जब आपको मालूम है कि इस वक़्त मैं संस्था में रहती हूँ ,तब आप घर में कैसे ? विकास कुछ जबाब देता उससे पहले ही चम्पा कॉफी ले आई और वो उसके प्रश्न से बच गया। कॉफी पीकर ,वो बाहर निकल जाता है। उसके जाने के पश्चात नीलिमा ,चम्पा पर अपना क्रोध निकालती है।
चम्पा.... ओ चम्पा.... नीलिमा जोर से चिल्लाते हुए ,आवाज देती है ,क्रोध तो इंस्पेक्टर पर था किन्तु उसे तो कुछ कह नहीं सकती थी ,अब वो यहां से जा भी चुका।
जी दीदी ,
दीदी ,की बच्ची ,ऐसे घर में कोई भी आ जायेगा ,तुम उसे घर में घुसा लोगी। कल को कोई सामान चुराकर ले गया ,या तुम्हें मार गया ,तब तुम क्या करोगी ?तुमसे कह रखा है ,किसी भी ऐरे -गेरे के लिए दरवाज़ा नहीं खोलना है।
पर वो तो.... इंस्पेक्टर साहब थे।
उनके क्या माथे पर लिखा था ?वो लगभग चिल्लाते हुए बोली।
आगे से ध्यान रखूंगी ,चम्पा सहमकर बोली।
नीलिमा ने उसका चेहरा देखा और नम्रता से बोली -देख !मैं तेरा कितना ख़्याल रखती हूँ ?कभी तुझे नौकरानी नहीं समझा ,अपनी छोटी बहन का दर्ज़ा दिया। गलत आदमी से तेरा विवाह होने से रुकवाया। तूने आस -पड़ोस में भी देखा है ,किसी की भी कामवाली ऐसे कपड़े नहीं पहनती होगी ,जैसे धीरेन्द्र ने तुझे दिलवाये हैं ,''दाँत पीसते हुए ''बोली। फिर से जुबान में मिश्री भरकर बोली- वो तो मैंने अपने कैमरे में देख लिया था ,अच्छा बता ! वो इंस्पेक्टर क्या पूछ रहा था ?
जी कुछ भी तो नहीं ,
जब वो इतनी देर से तुझसे बातें कर रहा था ,कुछ तो..... पूछा ही होगा।
जी वो कह रहे थे -'कबसे यहाँ काम कर रही हो ? चम्पा ने कॉफी बनाते हुए , सभी बातें ध्यान से सुनी थी बोली -कह रहे थे ,अथर्व को किस डॉक्टर को दिखाया ?आपसे भी तो वही बातें पूछ रहे थे। चम्पा ने उसे याद दिलवाया।
हम्म्म्म...... नीलिमा सोच में पड़ गयी और बोली -तू जा.... देख !जरा अथर्व क्या कर रहा है ?
ये इंस्पेक्टर...... पता नहीं ,मेरे पीछे क्यों पड़ा है ?नीलिमा सोच रही थी ,उसे मरे तो अब बरसों हो गए किसी ने एफ. आई. आर भी दर्ज नहीं करवाई किन्तु पता नहीं क्यों?ये इस केस में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा है ?
समझ नहीं आता ,वो अनजान कॉल किसकी आती होगी ?और ये चम्पा.... मेरी सौत बनने चली थी। अब देखती हूँ ,कैसे मेरी सौत बनती है ? मैंने तो जड़ ही ,समाप्त कर दी ,ज़िंदगी भर अब यहीं मेरे बच्चों की और इस घर की नौकरानी बनकर रहेगी ,नीलिमा के चेहरे पर कुटिल मुस्कान उभर आई।
चम्पा !देख दरवाजा ठीक से बंद कर ले !अभी मैं ,फिर से संस्था जा रही हूँ।आज बच्चों का परिणाम भी आनेवाला है ,समझी.... ! अब किसी को भी अंदर मत आने देना ,शाम को खाने में क्या बनाएगी ?लौटते समय सब्ज़ी भी ले आउंगी।
जो आप लाओगी ,वही बना दूंगी।
ठीक ..... कहकर नीलिमा मुस्कुरा दी।
शाम को ,नीलिमा मटन लाई ,आज बड़ी बेटी अपने हॉस्टल से ,होली की छुट्टियों में अपने घर अपने भाई और अपनी माँ से मिलने आई है। चम्पा को भी बहुत पसंद है ,उसने बड़े प्रेम से खाना बनाया ,आज उसे डांट जो दिया था ,इसीलिए आज उसे मटन से बहला रही थी। ऐसी विश्वनीय नौकरानी कहाँ मिलेगी ? शाम के खाने के पश्चात , चम्पा ने रसोईघर की सफाई की और अपने घर जाने के लिए तैयार हो गयी। उसके घर से बाहर निकलने तक ,अंधेरा हो जाता है। चम्पा घर से बाहर निकली और तेजी से ,अपने घर की ओर चल दी। लोगों के घरों से ,टेलीविजन पर किसी धारावाहिक की आवाज आ रही है। सभी के घर बंद पड़े हैं ,कुत्ते जो उसी गली में आ जाते हैं ,उनके भोकने की आवाज यदा -कदा आ जाती है ,वैसे चम्पा इन कुत्तों से डरती बहुत है ,एक बार एक कुत्ते को न जाने क्या सूझा ?और उसको काटने को दौड़ा ,तब चम्पा शोर मचाते हुए तेजी से भागी ,कुत्ता उससे भी तेज ,उसे दहशत इतनी हो गयी , उसकी बहुत ही विदारक चीख़ निकली। तब एक कोठी में से निकलकर ,एक आदमी ने उसे बचाया और समझाया भी। तुम्हें उससे डरकर नहीं भागना है ,तब वो और पीछे दौड़ेगा ,इसीलिए वहीं रुक जाओ !और पास में ही कोई कंकड़ पत्थर हो उसे उठाकर उसे धमकाओ ! तब वो शांत हो जायेगा।
इसीलिए नीलिमा अब किसी भी ड़र से डरती नहीं वरन उसका सामना करने के लिए तैयार रहती है ,इसीलिए हाथ में कोई पत्थर पहले से ही रख लेती है ,अब वो बड़े घरों की सड़क से निकलकर अपने घर के कच्चे रास्ते पर आ जाती है। उन घरों में भी ,दिया -बत्ती जले हुए हैं। किन्तु वो इलाका शांत है ,लोग अपने घरों में हैं ,कुछ अन्य महिलाएं भी जो अभी ,उसी की तरह काम से आ रही हैं ,इक्का -दुक्का दिख जाती ,खम्बे की रौशनी में से पहचान करते हुए ,कहतीं -अरे !चम्पा है क्या ?
जी ताईजी !
नीलिमा के घर में ,इतने वर्षों से काम करते -करते ,चम्पा ,कुछ तहज़ीब सीख़ गयी है। तभी वो देखती है ,एक पेड़ के पीछे किसी का साया नजर आ रहा है। वो ध्यान से देखने का प्रयास करती है किन्तु कोई नजर नहीं आता ,तब उसे ऐसा लगता है ,जैसे झाड़ियों में कोई है ,चम्पा ये देखकर घबरा जाती है। कौन है ? उधर कौन है ?अपनी घबराहट को छिपाते हुए। तभी पास की झाड़ी से हिलती है किन्तु चम्पा पर ड़र इतना हावी हो गया और उसने हाथ में लिया पत्थर उधर फ़ेंक मारा और तेजी से भाग खड़ी हुई। वो समझ रही थी कोई शराबी या फिर कोई बदमाश होगा। वो तेजी से दौड़ने लगी ,उसने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसकी साँस फूल रही थी ,उसने अपने घर के दरवाजे पर ही जाकर दम लिया। तब उसने पीछे मुड़कर देखा तो कोई व्यक्ति आगे बढ़े जा रहा था ,उसकी तरफ आ रहा था। अब तो घबराहट के कारण उसका गला भी सूख गया। उसने जल्दी -जल्दी दरवाजा पीटना आरंभ कर दिया।
आ रही हूँ ,क्यों दरवाजा पीट रही है ,क्या तोड़कर ही मानेगी ? उसकी माँ ने घर के अंदर से जबाब दिया।
चम्पा ,और तेजी से दरवाजा पीटने लगी ,वो शायद हाथ के इशारे से ,उसे कुछ कहना चाह रहा था किन्तु चम्पा जल्दी -जल्दी दरवाजा पीटती रही। माँ ने दरवाजा खोला और कहने ही वाली थी ,इतनी आफत क्यों मचा रखी है ?किन्तु चम्पा ने माँ की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और झट से अंदर घुस गयी। तब जाकर उसने एक लम्बी और गहरी साँस ली।
माँ ने पूछा भी ,क्या कोई भूत देख लिया ? इस तरह से घबराई हुई है।
पता नहीं ,कौन था ?मैंने सोचा -कोई जंगली जानवर होगा किन्तु वहां तो जीता -जागता इंसान था ,मैंने उसे पत्थर भी मारा ,शायद उसे लग गया।
हे भगवान !मुझे लगता है ,अपने ड़र के कारण किसी का सिर तो नहीं फोड़ आई। पहले कम से कम देख तो लेती कौन था ?
क्या देखती ?वो ही मुझे मार देता ,तब तक उसका इंतजार करती ,तब रसोईघर से पानी लेकर चम्पा ने पानी पीया गहरी साँस ली ,जो होगा देखा जायेगा ,सुबह को पता चल जायेगा। कहकर अपने बिस्तर पर बैठ गयी।
प्रिय पाठकों ! आप इसी तरह साथ देते रहिये !और अपनी समीक्षा और प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते रहिये !चम्पा ने जिसके पत्थर मारा, आखिर वो कौन था ? क्या वो किसी गलत इरादे से ,उसके पीछे था या फिर वो मात्र चम्पा का वहम ही था।आखिर वो कौन था ? जानने के लिए पढ़ते रहिये -''ऐसी भी ज़िंदगी ''