कक्षाशिक्षक रोज़ की तरह कक्षा में आये और उन्होने विद्याथियो को इतिहास पढ़ाया उस दिन भी कक्षा में अध्ययन के समय मे उस शैतान लड़के ने अपनी शरारत जारी रखी हालांकि कक्षा शिक्षक ने हर तरीके से उस लड़के को समझाने की कोशिश कर चुके थे अंत मे हारकर कक्षा शिक्षक ने उस विद्यार्थी के बारे में प्राचार्य जी को बतलाया जब प्राचार्य जी को इस बात का पता चला तो पहले उन्होंने लड़के से सम्बधित सारी बाते सुनी और कक्षा शिक्षक से विन्रमता पूर्वक कहा उस एक कक्षा के कारण सारे स्कूल के अनुशासन पर फर्क पड़ता हैं कल आपकी कक्षा में सबसे पहले मैं जाना चाहुगा प्राचार्य ने कहा मगर वो विद्यार्थी बातों से मानने वाला कक्षा दी कक्षा शिक्षक ने कहा आप संयम रखिये वो विद्यार्थी कल के बाद शरारत नहीं करेगा।
दूसरे दिन प्राचार्य महोदय ने उस कक्षा में प्रवेश किया विद्यार्थियों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया इसके पश्चात प्राचार्य ने उन्हें कुछ ज्ञान और अनुशासन की बाते समझाई और उस विद्यार्थी को खड़े होने को कहा जिसकी शरारत उस समय चर्चा में थी प्राचार्य जी ने लड़के को गौर से देखा और कहा तुम्हारी बेहद शिकायते आयी हैं और उन्ही शिकायतों के कारण आज मुझे तुम्हारी कक्षा में आना पड़ा अब ये तुम्हारी आख़री शिकायत हैं आज के बाद यदि तुम्हारी दोबारा कोई भी शिकायत मेरे पास आई तो तुम्हे मैं उसी समय टीसी दे दूंगा और आज तक बाकी सारे विषयों का जितना भी पढ़ाया गया हैं उन विषयो की सारी कॉपिया पूर्ण की होगी तुमने वो कॉपियां मुझे चेक करनी हैं इसलिए सारे विषयों की कॉपी जमा करें सभी विद्यार्थी ने कॉपी जमा की प्राचार्य जी सभी की कॉपी ऑफिस में भिजवा दी और उस लड़के फिर से चेतावनी देते हुए कहा की अगली क्लास तक तुम्हारी कोई शिकायत नही आनी चाहिए। फिर कुछ दिन तक कक्षा में कोई शैतानी नहीं हुई सबकुछ बराबर समय के अनुसार चलता रहा । फिर एक उसी शैतान विद्यार्थी की शिकायत आई और शिकायत प्राचार्य महोदय तक पहुंच गई प्राचार्य महोदय फिर उस दिन उनकी कक्षा में कदम रखा - और आते ही अपना विषय के बारे में पढ़ाया और फिर उस लड़के से कहा मेरा दंड देने का तरीका बहुत अलग हैं मैं किसी को भी शारिरिक चोट नहीं पहुंचाता इसलिये मेरा तुमसे एक सवाल हैं जिसका जवाब तुम्हे देना होगा , लड़के से सहमति में अपना सिर हिलाया प्राचार्य जी ने पूछा- कि तुम किस तरह से और कितना विश्वास किया जाये विद्यार्थी थोड़ी देर तक शांत रहने के पश्चात बोला जितनी एक आँख दूसरी आँख पर करती हैं प्राचार्य ने कहा तुम एक आँख से दूसरी आँख पर विश्वास करने की बात करते हो, मैं तुम्हारी आँखों की पलक पे जितने बाल हैं उन में से एक बाल के बराबर विश्वास करता हूं जब मैं तुम इतना पतला(महीन) विश्वास कर सकता हूं तो क्या तुम्हारा विश्वास इतना छोटा है कि वो अपने आपको पूर्ण रूप से व्यस्थित नही कर पाता वो सिर्फ अनुशासन हीनता और शरारत को ही उपलब्ध होता हैं क्या तुम्हारी विद्यार्थी होने की यही पहचान हैं, क्या तुम्हारे विश्वास और मन अपने आदर्श और अनुशासन के लिए नहीं हैं बताओ जवाब दो इस बात का ?
प्राचार्य के इतना कहते ही उस विद्यार्थी का सर नीचे झुक गया और उसने उनसे क्षमा माँगी और एक बात कही सर मार्गदर्शन देनेवाला कोई मिलता नही हमारे समाज मे सब स्वार्थ के तले दबे कुचले रहते हैं आप जैसा शिक्षक अगर मिलते रहे तो मैं अपना जीवन निसार करदूँ अपना इतना कहते कहते उसकी आँखों मे पानी था और गलती का पूरा एहसास उसकी आँखों से उतर रहा था प्राचार्य ने उसे अपने पास बुलाकर आशीर्वाद दिया उसके बाद से कक्षा मिसाल बन इंसानियत और अच्छाई की।
अजय निदान
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Ajay nidaan की अन्य किताबें
नाम - अजय कन्नूरकर
निकनेम - अजय निदान
पिता का नाम- मधुकर राव कन्नूरकर
माता का नाम - सुनंदा कन्नूरकर
पत्नी का नाम- ऋतु कन्नूरकर
जन्मदिन 30/10/1971
जन्मस्थान - महाराष्ट्र(वणी)
शिक्षा - स्नातक बी काम। अंग्रेजी स्टनोग्राफ़ी, कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर।
वर्तमान पता - सड़क नम्बर 8,शांति नगर,भिलाई,छत्तीसगढ़
मोबाइल / व्हाट्सएप नम्बर - 9630819356
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विधा - गद्य और पद्य, ।
उपलब्धियां - साहित्य के सफर में कई सालो से हूं लेखन कार्य करता हूं कविताएं गीत ग़ज़ल लघुकथा चित्र पर कविता आदि पर थोड़ा बहुत लिखने की कोशिश करता हूं अभी तक मेरी चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ,कई पत्र पत्रिकाओं, अखबारो में रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं।
प्रथम जनवरी 2003 में गहरी उतरी काव्य संग्रह,द्वितीय 2011 सितंबर में दिशा काव्य संग्रह, तृतीय जनवरी 2016 में परवाज़ काव्य/कहानी संग्रह, और चतुर्थ नई क़लम से 2017 नवंबर को।
सम्मान - 2 सितंबर 2012 क़लम कलाधर सम्मान (ग्वालियर साहित्य कला परिषद)2 सितंबर 2013 (ग्वालि.साहित्य कला परिषद) 30 सितंबर 2014 काव्य कुमुद सम्मान (ग्वालियर साहित्य कला परिषद) 2 सितंबर 2015 वीणा साहित्य द्वारा उत्त्कृष्ठ लेखन सम्मान भिलाई, ज्ञानोदय साहित्य सेवा सम्मान कर्नाटक 2016 में,दिव्यतुलिका साहित्यान सम्मान 10 सितंबर 2017,उत्कर्ष प्रकाशन मेरठ से उत्त्कृष्ठ लेखन सम्मान नवंबर 2017 प्राप्त हुआ। और 2018 में ग्वालियर से दिव्यतुलिका साहित्यायन सम्मान प्राप्त हुआ हैं। अभी 2021 में गोल्डन बुक्स ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में मेरा नाम दर्ज हुआ है और ई सर्टिफिकेट के साथ दो प्रमाण पत्र मिले हैं।और 2021 में लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी नाम दर्ज हुआ हैं।
वर्ल्ड रिकॉर्ड में चार बार नाम दर्ज़ हैं लेखन के लिए.
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