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मैं एक विधार्थी हूँ .... मुझे लिखना और पढ़ना पंसद है . . . नारी है वो नारी है वो ताड़न की अधिकारी दो परिवारो को एक करने वाली टूटे विश्वास को जोड़ने वाली खुले मन से हँसने वाली अपनी इच्छा को मारने वाली आँसू को छूपाने वाली दर्द में भी मुस्कुराने वाली कर्तव्य से अपने मूँख ना मोड़ने वाली थकने पर भी उफ्फ ना करने वाली हे मानव .... नारी है वो नारी ... है वो ताड़न की अधिकारी ... ताड़न की अधिकारी का अर्थ यहां पर प्यार पाने की हकदार से है ।

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-06-23
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-08-03
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2021-10-27

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कविताएं और शेर

कविताएं और शेर

बेहद प्यार

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कविताएं और शेर

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बेहद प्यार

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परी सी हैं वो ..🧚🏻‍♀️

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चाँद का टुकड़ा

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चाँद का टुकड़ा

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हमे क्या पता था
कि वो सब बेवजह था

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हमे क्या पता था
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दिल की आवाज

दिल की आवाज

शब्दों की लड़ी ....

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दिल की आवाज

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शब्दों की लड़ी ....

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दहेज ... ये कैसा रिवाज है . . .

दहेज ... ये कैसा रिवाज है . . .

        सुधीर जी अपनी बेटी राधिका की शादी को लेकर हमेशा चिंतित रहा करते थे । वो पेशे से एक सरकारी टिचर थे । वो अपने परिवार के साथ एक छोटे से घर में रहा करते थे । सुधीर जी के परिवार में उनकों लेकर कुल पाँच  सदस्य रहा करते थे । वो उनकी पत

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दहेज ... ये कैसा रिवाज है . . .

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मेरे पापा🙏🏻🤗

मेरे पापा🙏🏻🤗

एक पिता का अपने बच्चों के प्रति प्यार और त्याग । बच्चों के खुशी में खुश हो जाना , आदि .. जिसे हम लब्जो में बया नहीं कर सकते हैं । पिता की आत्मा महान होता हैं ,उनके गुस्से में ही प्यार छुपा होता है ।

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मेरे पापा🙏🏻🤗

मेरे पापा🙏🏻🤗

एक पिता का अपने बच्चों के प्रति प्यार और त्याग । बच्चों के खुशी में खुश हो जाना , आदि .. जिसे हम लब्जो में बया नहीं कर सकते हैं । पिता की आत्मा महान होता हैं ,उनके गुस्से में ही प्यार छुपा होता है ।

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तेरा फितूर जब से चढ़ गया रे ...

तेरा फितूर जब से चढ़ गया रे ...

प्रशांत अपने ऑफिस में बैठे हुए बोर हो रहा था । आज ऑफिस में उतना काम नहीं था । वह कुर्सी पर बैठे हुए इधर-उधर ऑफिस में देख रहा था और अपने मन को बहला रहा था । आज उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था ऑफिस में । उसने एक बार फिर इधर - उधर देखा फिर वो सामने रख

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तेरा फितूर जब से चढ़ गया रे ...

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प्रशांत अपने ऑफिस में बैठे हुए बोर हो रहा था । आज ऑफिस में उतना काम नहीं था । वह कुर्सी पर बैठे हुए इधर-उधर ऑफिस में देख रहा था और अपने मन को बहला रहा था । आज उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था ऑफिस में । उसने एक बार फिर इधर - उधर देखा फिर वो सामने रख

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मेरे अभिमान है पापा ...

मेरे अभिमान है पापा ...

मेरे प्यारे पापा🙏🏻😊❤️

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" शब्दों की मोती "

" शब्दों की मोती "

कुछ अपनी और कुछ कल्पना कर के लिखती हूँ , मैं कहानी ,कविता , शेर , गीत और गजल भी लिख लिया करती हूँ । अभी तो शुरूआत हैं ये , आगे शायद मेरी लेखनी में और निखार आ जायेगी ।

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" शब्दों की मोती "

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कुछ अपनी और कुछ कल्पना कर के लिखती हूँ , मैं कहानी ,कविता , शेर , गीत और गजल भी लिख लिया करती हूँ । अभी तो शुरूआत हैं ये , आगे शायद मेरी लेखनी में और निखार आ जायेगी ।

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वो भूल थी मेरी ...

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