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अजीबकाविता

hindi articles, stories and books related to Ajibkavita


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मैं भी छूना चाहता हूँ उस नीले आकाश को.… जो मुझे ऊपर से देख रहा है, अपनी और आकर्षित कर रहा है, मानों मुझे चिढ़ा रहा हो, और मैं यहाँ खड़ा होकर… उसके हर रंग निहार रहा हूँ, ईर्ष्या भाव से नज़रें टिका कर, उसके सारे रंग देख रहा हूँ, अनेक द्वंद मेरे मन में..... कैसे पहुँचु मैं उसके पास एक बार, वो भी इठला कर,

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आज अनायस ही रसोईघर में रखे मसाले के डब्बे पर दृष्टी चली गयीजिसे देख मन में जीवन और मसालों के बीच तुलनात्मक विवेचना स्वतः ही आरम्भ हो गयी.... सर्वप्रथम हल्दी के पीत वर्ण रंग देख मन प्रफुल्लित हुआ जिस तरह एक चुटकी भर हल्दी अपने रंग में रंग देती है उसी समान अपने प्यार और सोहार्द्य से दुसरो को अपने रंग

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ना मीठा खाने के पहले सोचा करते थेना मीठा खाने के बाद....वो बचपन भी क्या बचपन थाना डायबिटिक की चिंता ना कॉलेस्ट्रॉल था...दो समोसे के बाद भीएक प्याज़ की कचोरी खा लेते थे..अब आधे समोसे में भी तेल ज्यादा लगता है...मिठाई भी ऐसी लेते है जिसमे मीठा कम होऔर कम नमक वाली नमकीन ढूंढते रहते है...खूब दौड़ते भागते

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एक दिन जी मेल पर…अवसर मिला लॉग इन करने का.…सोचा सब दोस्तों से कर लूँगा बातचीत…जान लूँगा हाल उनके …और बता दूंगा अपने भी.…एक दोस्त को क्लिक किया …. चैटिंग लिस्ट में से ढूंढ कर…चेट विंडो में उसकी … लाल बत्ती जल रही थी.…जो एक चेतावनी दे रही थी.…दोस्त इज बिजी, यू मे इन्टरुप्टिंग.…हमे आया गुस्सा … बोले चे

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कई दशको पहले, यदि भारत में कुछ ऐसा घट जाता,जिस से ये देश धन सम्पन्न और विकसित बन जाता, चहुँमुखी विकास के साथ साथ,अन्तराष्ट्रीय व्यापर भी शशक्त हो जाता, और शशक्त हो जाती हिंदी भाषा, भारत में तो चारो और हिंदी बोली जाती ही ,और विदेशी भी हिंदी बोलते हुए आता,लड़खड़ाती हुई हिंदी बोलते हुए जब विदेशी आता,तो म

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