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बातचीत की खिड़की

7 जुलाई 2019

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एक दिन जी मेल पर…
अवसर मिला लॉग इन करने का.…
सोचा सब दोस्तों से कर लूँगा बातचीत…
जान लूँगा हाल उनके …
और बता दूंगा अपने भी.…
एक दोस्त को क्लिक किया ….
चैटिंग लिस्ट में से ढूंढ कर…
चेट विंडो में उसकी …
लाल बत्ती जल रही थी.…
जो एक चेतावनी दे रही थी.…
दोस्त इज बिजी, यू मे इन्टरुप्टिंग.…
हमे आया गुस्सा …
बोले चेट विंडो से….
अरे रुकावट तो तुम बन रही हो.…
हम दो दोस्तों के बीच.…
लाल बत्ती और धमकी भरी चेतावनी से….
डरा रही हो…
वो कुछ ना बोली …
और ना दोस्त कुछ बोला ….
हम कुछ देर रुके ….
और फिर एक दोस्त पर क्लिक किया ….
इस बार हरी बत्ती थी ….
मन प्रसन्न हुआ ….
इस से जरुर बात होगी …
हमने पूछा प्रेम से....
कैसे हो?
कुछ देर तक जवाब ना आया ….
और हरी दिखने वाली बत्ती …
कब नारंगी हो गयी ….
पता ना चला …
हम थोड़े मायूस हुए…
लेकिन एक बार फिर सहस्त्र आशाओ के बल पर…
फिर एक दोस्त को क्लिक किया….
सहसा आशाओ का बल अदृश्य हुआ ….
एक विचार आया.…
और हमने स्वतः ही वो .…
बातचीत की खिड़की बंद कर दी ….
और अनिश्चित काल के लिए …
लॉगआउट हो गए । ।


शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

नमस्कार कपिल जी, आपका लेख ' वृद्धों की समस्या का तुलनात्मक पहलु' शब्दनगरी के फेसबुक पेज पर प्रकाशित हुआ है ... फेसबुक पर शब्दनगरी सर्च कर आप देख सकते है -https://www.facebook.com/shabdanagari/

8 जुलाई 2019

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दुःख से साक्षात्कार

22 जून 2019
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बहुत दिन हो गए दुःख को यहाँ आये,जमाना बीत गया यहाँ पैर फैलाये,सोचा आज कर ही लेते है दुःख से साक्षात्कार,पूछ लेते है क्या है इसके आगे के विचार,हमने पूछा दुःख से थोडा घबरा कर,वो भी सहम गया हमे अपने पास पाकर,आजकल काफी पहचाने जा रहे हो,महंगाई ,गरीबी, गैंगरेप आदि विषयो से चर्चा में आ रहे हो...दुःख चोंका,

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वृद्धों की समस्या का तुलनात्मक पहलु अवश्य पढ़ें ...

27 जून 2019
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एक दिन मैं अपनी दादी को उनकी बहिन से मिलाने लेकर गया, साथ में दादाजी भी चल दिए! हम तीनो उनके घर उनसे मिलने गए क्यूंकि वो बाथरूम से फिसल कर गिर गयी थी | वहा ये चारो बुजुर्ग मिले और आपस में मिल कर काफी खुश दिखाई दिए!एक बार को मेरी दादी की बहिन अपना दर्द भूल गयी थी शायद।

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पूरक एक दूसरे के

28 जून 2019
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मूक बधिर सत्य, स्थिर खड़ा एक कोने में, बड़े ध्यान से देख रहा है, सामने चल रही सभा को, झूठ, अपराध, भ्रष्टाचार इत्यादि, व्यस्त है अपने कर्मो के बखानो में, सब एक से बढ़ कर एक, आंकड़े दर्शा रहे है, सहसा दृष्टि गयी सामने सत्य की, सिर झुकाये सोफे पर बैठा, आत्मसम्मान, सब कुछ देख

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हिंदी भाषा

4 जुलाई 2019
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कई दशको पहले, यदि भारत में कुछ ऐसा घट जाता,जिस से ये देश धन सम्पन्न और विकसित बन जाता, चहुँमुखी विकास के साथ साथ,अन्तराष्ट्रीय व्यापर भी शशक्त हो जाता, और शशक्त हो जाती हिंदी भाषा, भारत में तो चारो और हिंदी बोली जाती ही ,और विदेशी भी हिंदी बोलते हुए आता,लड़खड़ाती हुई हिंदी बोलते हुए जब विदेशी आता,तो म

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बातचीत की खिड़की

7 जुलाई 2019
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एक दिन जी मेल पर…अवसर मिला लॉग इन करने का.…सोचा सब दोस्तों से कर लूँगा बातचीत…जान लूँगा हाल उनके …और बता दूंगा अपने भी.…एक दोस्त को क्लिक किया …. चैटिंग लिस्ट में से ढूंढ कर…चेट विंडो में उसकी … लाल बत्ती जल रही थी.…जो एक चेतावनी दे रही थी.…दोस्त इज बिजी, यू मे इन्टरुप्टिंग.…हमे आया गुस्सा … बोले चे

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भगवान के साथ संवाद - वाद विवाद

9 जुलाई 2019
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भगवान के साथ संवाद एक दिन रास्ते में मुझे एक वृद्ध महिला ने सहायता के लिए पुकारा। मैंने उनकी सड़क पार करने में सहायता की और साथ ही उन्हें खाने के लिए कुछ पैसे दिए। उन वृद्ध महिला के ढेरो आशीर्वाद लेकर मैं मुड़ा ही था कि मेरे इष्टदेव मेर

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स्वास्थय

18 जुलाई 2019
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ना मीठा खाने के पहले सोचा करते थेना मीठा खाने के बाद....वो बचपन भी क्या बचपन थाना डायबिटिक की चिंता ना कॉलेस्ट्रॉल था...दो समोसे के बाद भीएक प्याज़ की कचोरी खा लेते थे..अब आधे समोसे में भी तेल ज्यादा लगता है...मिठाई भी ऐसी लेते है जिसमे मीठा कम होऔर कम नमक वाली नमकीन ढूंढते रहते है...खूब दौड़ते भागते

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मसाले का डब्बा

19 जुलाई 2019
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आज अनायस ही रसोईघर में रखे मसाले के डब्बे पर दृष्टी चली गयीजिसे देख मन में जीवन और मसालों के बीच तुलनात्मक विवेचना स्वतः ही आरम्भ हो गयी.... सर्वप्रथम हल्दी के पीत वर्ण रंग देख मन प्रफुल्लित हुआ जिस तरह एक चुटकी भर हल्दी अपने रंग में रंग देती है उसी समान अपने प्यार और सोहार्द्य से दुसरो को अपने रंग

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हे आकाश

21 जुलाई 2019
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मैं भी छूना चाहता हूँ उस नीले आकाश को.… जो मुझे ऊपर से देख रहा है, अपनी और आकर्षित कर रहा है, मानों मुझे चिढ़ा रहा हो, और मैं यहाँ खड़ा होकर… उसके हर रंग निहार रहा हूँ, ईर्ष्या भाव से नज़रें टिका कर, उसके सारे रंग देख रहा हूँ, अनेक द्वंद मेरे मन में..... कैसे पहुँचु मैं उसके पास एक बार, वो भी इठला कर,

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फिर भी आश्वस्त था

22 जुलाई 2019
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मैं अतिउत्साहित गंतव्य से कुछ ही दूर था, वहां पहुचने की ख़ुशी और जीत की कल्पना में मग्न था, सहस्त्र योजनाए और अनगिनत इच्छाओ की एक लम्बी सूची का निर्माण कर चुका था, सीमित गति और असीमित आकांक्षाओं के साथ निरंतर चल रहा था, इतने में समय आया किन्तु उसने गलत समय बताया, बंद हो गया अचानक सब कुछ जो कुछ समय पह

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विफलता?

24 जुलाई 2019
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मेरे प्यारे दोस्तों, या यूँ कहूं कि मेरे दसवीं , बारहवीं और प्रतियोगी परीक्षा के अचयनित दोस्तों। ये लेख विर्निदिष्टतः आपके सब के लिए ही लिख रहा हूँ जो किसी परीक्षा में विफल हो जाने पर आत्महत्या जैसे बेतुके विचारो को अपने मष्तिष्क द्वारा आमंत्रित करते है। और क

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मेघा

26 जुलाई 2019
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रात के बाद फिर रात हुई... ना बादल गरजे न बरसात हुई.. बंजर भूमि फिर हताश हुई.. शिकायत करती हुई आसमान को.. संवेग के साथ फिर निराश हुई.. कितनी रात बीत गयी.. पर सुबह ना हुई.. कितनी आस टूट गयी.. पर सुबह ना हुई.. ना जला चूल्हा, ना रोटी बनी.. प्यास भी थक कर चुपचाप हुई.. निराशा के धरातल पर ही थी आशा.. की एक

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सीढियों पर किस्मत बैठी थी

28 जुलाई 2019
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सीढियों पर किस्मत बैठी थी...ना जाने किसकी प्रतीक्षा कर रहा थी...उससे देख एक पल मैं खुश हुआ..और पास जाकर पूछा..क्या मेरी प्रतीक्षा कर रही हो...उसने बिना कुछ बोले मुहँ फेर लिया..दो तीन बार मैंने और प्रयास किया..पर वो मुझसे कुछ ना बोली...मैं समझ गया ये किसी और के लिए यहाँ बैठी है..इस बार मैंने कोशिश क

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मानवता?

31 जुलाई 2019
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अभी कल की ही बात है, मैं गाड़ी पार्क करके निकला ही था बाहर कि एक महिला तुरंत मेरे पास आयी और अंग्रेजी में कुछ फुसफुसाई। मैं सकपका गया, शुरू के 5 -7 क्षण तो मैं समझ ही नहीं पाया कि इन्हे समस्या क्या है। फिर पता चला कि वो यहाँ मुझसे पहले गाड़ी खड़ी करने वाली थी और मैंने उसकी जगह अपनी गाड़ी लगा दी। अंग्रेज

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टाइम क्या हुआ है भाई

1 अगस्त 2019
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समय के प्याले में,जीवन परोसा जा रहा है,अतिथियों का जमघट लगा है,रौशनी झिलमिला रही है,अरे, बुरी किस्मत जी भी आयी है,लगता है, कुछ बिन बुलाये,अतिथि भी आये है,आये नहीं, जिनकी प्रतीक्षा है,स्वयं प्यालो को,विशेष अतिथि के रूप में,कई लोगो का निमंत्रण था,रात के दस बज चुके है,आया नहीं अभी कोई उनमे से,बाकि अतिथ

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मेरा दोस्त

4 अगस्त 2019
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जीवन के बाइस वर्षो तक मुझे खास दोस्त और दोस्ती का अर्थ भी नहीं पता था या फिर ऐसे कहूँ कि मुझे इनकी सिर्फ कागज़ी जानकारी थी और अपने आस पास घट रहे दोस्ती के उदाहरण देख लिया करता था। इतने वर्षो के बाद मेरा मिलान एक बेहद साधारण व्यक्तित्व के इंसान से तब हुआ जब मैं बहुत घबराया हुआ था। मेरे चाचाजी अस्पताल

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भीषण गर्जना

5 अगस्त 2019
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अत्यंत दुर्बल परिस्तिथि में..एक साहसीय भीषण गर्जना,चारो ओर सन्नाटा..आपस में तांकते महा विभोर, दुःख.. कठिनाई.. तनाव.. समस्या..सब खड़े मौन,विस्मित मन से सोच रहे,अब हो गया इनका विरोध,कैसे करेंगे परेशान अब,सुन कर उसकी गर्जना,पीछे खड़ा.. सहमा हुआ डर..डर रहा था आगे आने को,सोच

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सफलता

6 अगस्त 2019
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बस कुछ ही दूर थी सफलता, दिखाई दे रही थी स्पष्ट, मेरा प्रिय मित्र मन, प्रफुल्लित था, तेज़ प्रकाश में, दृश्य मनोरम था, श्वास अपनी गति से चल रहा था, क्षणिक कुछ हलचल हुई, पैर डगमगाया, सामने अँधेरा छा गया, सँभलने की कोशिश की, किन्तु गिरने से ना रोक पाया अपने आप को, ना जाने कौन था, जो धकेल कर आगे चला गया,

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स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये !!

14 अगस्त 2019
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एक वर्ष और स्वतंत्रता का.. आकर चला गया.. महँगाई..भ्रष्टाचार और अनगिनत रेप के बीच, इस स्वतंत्र धरती के.. खुले आकाश में.. दम घुँट रहा है.. बस शरीर जीवित है, कोई सरकार पर आरोप लगा रहा है.. सरकार विपक्ष पर.. विपक्ष सरकार की टांग खींच रहा है.. और जनता भूखी मर रही है, जिन वस्तुओं की जरुरत नहीं है.. वो सस्

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क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ

25 दिसम्बर 2019
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फुटपाथ पर बैठा दस वर्ष का बच्चा, बड़े कौतुहल से किसी की प्रतीक्षा कर रहा है घडी नहीं है उसके पास, फिर भी एक एक क्षण गिण रहा है आशा भरे नयनो से, चारो और देख रहा है अपना मन पसंद उपहार मिलने की उम्मीद में, दिन भर से यही संता की बाट जो रहा है किसी ने बताया उसको, की आज संता सबको मन पसंद उपहार दे रहा ह

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कोविड - 19

4 मई 2021
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चारों ओर से आती हुई एम्बुलेंस की धुँधली आवाज़ें भी,हर बार कुछ क्षण के लिए ह्रदय की धड़कने बढ़ा जाती है,मष्तिष्क किसी तरह ह्रदय को संभालता है,और ह्रदय फिर फेफड़ो की चिंता में डगमगाता है,ऑक्सीमीटर में ऑक्सीजन स्तर जांचने के बाद ही,सुकून की सा

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कोरोना

5 मई 2021
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कोरोना वहां इठला कर खड़ा है,और यहाँ धैर्य, साहस और विश्वास की मंत्रणा चल रही है। धैर्य बोला, थक गया मैं इस से लड़ लड़ के,वापस आ जाता है, ये दुगुनी शक्ति से। धैर्य की बात सुनकर, साहस भी धीमे स्वर से बोला,दुर्बल हो गया हूँ मैं भी, इसकी विविध शक्तियाँ देख कर,इतना धैर्य रख र

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ओह दिवाली!

26 अक्टूबर 2021
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<p>आज अवसर मिलते ही अपना स्कूटर उठाया </p> <p>और बाहर को निकला</p> <p>सोचा दिवाली पर कुछ ले आऊं

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हिंदी भाषा

14 सितम्बर 2022
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कई दशको पहले यदि भारत में कुछ ऐसा घट जाता जिस से ये देश धन सम्पन्न और विकसित बन जाता  चहुँमुखी विकास के साथ साथ अन्तराष्ट्रीय व्यापर भी शशक्त हो जाता और शशक्त हो जाती हिंदी भाषा भारत में तो चारो

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वो अस्सी-नब्बे की बातें

23 नवम्बर 2023
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वो अस्सी-नब्बे की बातें, कभी कभार याद आ जाती है और याद आते ही अपने अंदर समां लेती है गर्मियों की छुट्टियो में छत पर कतार से सोना सोने से पहले बड़ो का बाल्टी-मग से छत पर छिड़काव करना बीच बीच

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विश्व हिंदी दिवस

6 जनवरी 2024
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'विश्व हिंदी दिवस', किस दिन आता है? इसका पता लगते से ही मन में स्वतः ही राष्ट्रभक्ति जाग उठती है।  'इंडिया' को 'भारत' बोलने का मन करता है और तो और २ से ५ मिनट के लिए अनायास ही सीना गर्व से चौड़ा हो जात

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