एक दिन जी मेल पर… अवसर मिला लॉग इन करने का.… सोचा सब दोस्तों से कर लूँगा बातचीत… जान लूँगा हाल उनके … और बता दूंगा अपने भी.… एक दोस्त को क्लिक किया …. चैटिंग लिस्ट में से ढूंढ कर… चेट विंडो में उसकी … लाल बत्ती जल रही थी.… जो एक चेतावनी दे रही थी.… दोस्त इज बिजी, यू मे इन्टरुप्टिंग.… हमे आया गुस्सा … बोले चेट विंडो से…. अरे रुकावट तो तुम बन रही हो.… हम दो दोस्तों के बीच.… लाल बत्ती और धमकी भरी चेतावनी से…. डरा रही हो… वो कुछ ना बोली … और ना दोस्त कुछ बोला …. हम कुछ देर रुके …. और फिर एक दोस्त पर क्लिक किया …. इस बार हरी बत्ती थी …. मन प्रसन्न हुआ …. इस से जरुर बात होगी … हमने पूछा प्रेम से.... कैसे हो? कुछ देर तक जवाब ना आया …. और हरी दिखने वाली बत्ती … कब नारंगी हो गयी …. पता ना चला … हम थोड़े मायूस हुए… लेकिन एक बार फिर सहस्त्र आशाओ के बल पर… फिर एक दोस्त को क्लिक किया…. सहसा आशाओ का बल अदृश्य हुआ …. एक विचार आया.… और हमने स्वतः ही वो .… बातचीत की खिड़की बंद कर दी …. और अनिश्चित काल के लिए … लॉगआउट हो गए । ।
नमस्कार कपिल जी, आपका लेख ' वृद्धों की समस्या का तुलनात्मक पहलु' शब्दनगरी के फेसबुक पेज पर प्रकाशित हुआ है ... फेसबुक पर शब्दनगरी सर्च कर आप देख सकते है -https://www.facebook.com/shabdanagari/