कई दशको पहले,
यदि भारत में कुछ ऐसा घट जाता,
जिस से ये देश धन सम्पन्न और विकसित बन जाता,
चहुँमुखी विकास के साथ साथ,
अन्तराष्ट्रीय व्यापर भी शशक्त हो जाता,
और शशक्त हो जाती हिंदी भाषा,
भारत में तो चारो और हिंदी बोली जाती ही ,
और विदेशी भी हिंदी बोलते हुए आता,
लड़खड़ाती हुई हिंदी बोलते हुए जब विदेशी आता,
तो मैं भी उपहास बनाता,
जैसा आज मेरा उपहास बनाया गया,
सिर्फ मेरे टूटी फूटी अँग्रेजी बोलने पर,
"हिंदी ही बोला करो" ये अहसास दिलाया,
सारी पुस्तकें हिंदी में प्रकाशित की जाती,
साक्षात्कार भी हर जगह हिंदी में किया जाता,
और विदेशी गानो का प्रारम्भ भी,
हिंदी के शब्दो से किया जाता.
विदेशो में रैपिड हिंदी कोर्स करवाया जाता,
भारत में अध्य्यन करने हेतु,
हिंदी का जटिल प्रश्न पत्र आता,
तब अंग्रेजी बोलने वाले भी हिंदी बोलते,
तो उनका भी सिर गर्व से उठ जाता,
तब कही जाकर,
सराही जाती अपनी ही मातृभाषा,
अंग्रेजी का अधिक ज्ञान नहीं मुझे,
लेकिन अच्छी लगती हिंदी भाषा ॥
कई दशको पहले
यदि भारत में कुछ ऐसा घट जाता
जिस से ये देश धन सम्पन्न और विकसित बन जाता
चहुँमुखी विकास के साथ साथ
अन्तराष्ट्रीय व्यापर भी शशक्त हो जाता
और शशक्त हो जाती हिंदी भाषा
भारत में तो चारो और हिंदी बोली जाती
और विदेशी भी हिंदी बोलते हुए आता
लड़खड़ाती हुई हिंदी बोलते हुए जब विदेशी आता
तो मैं भी उपहास बनाता
जैसा आज मेरा उपहास बनाया गया
सिर्फ मेरे टूटी फूटी अँग्रेजी बोलने पर
"हिंदी ही बोला करो" ये अहसास दिलाया
सारी पुस्तकें हिंदी में प्रकाशित की जाती
साक्षात्कार भी हर जगह हिंदी में किया जाता
और विदेशी गानो का प्रारम्भ
हिंदी के शब्दो से किया जाता
विदेशो में रैपिड हिंदी कोर्स करवाया जाता
भारत में अध्य्यन करने हेतु
हिंदी का जटिल प्रश्न पत्र आता
तब अंग्रेजी बोलने वाले भी हिंदी बोलते
तो उनका सर गर्व से उठ जाता
तब कही जाकर
सराही जाती अपनी ही मातृभाषा
अंग्रेजी का अधिक ज्ञान नहीं मुझे
लेकिन अच्छी लगती हिंदी भाषा ॥