आज अनायस ही रसोईघर में रखे मसाले के डब्बे पर दृष्टी चली गयी जिसे देख मन में जीवन और मसालों के बीच तुलनात्मक विवेचना स्वतः ही आरम्भ हो गयी....
सर्वप्रथम हल्दी के पीत वर्ण रंग देख मन प्रफुल्लित हुआ जिस तरह एक चुटकी भर हल्दी अपने रंग में रंग देती है उसी समान अपने प्यार और सोहार्द्य से दुसरो को अपने रंग में रंगने की प्रेरणा वही अकस्मात मिली...
श्वेत रंग नमक से सरलता और सादगी का पाठ सीखा और सीखा उनकी बराबर मात्रा की उपयोगिता ना तो कम ना ही ज्यादा और सीखा कभी कभी स्वादानुसार मात्रा का फायदा...
हरे रंग के धनिये ने भी अपनी उपस्तिथि चरित्रार्थ की हर स्तिथि में प्रसन्न रहने की कला प्रदान की... और भी मसाले थे वहां जिनसे कुछ ना कुछ विशिष्टता ग्रहण की..
सहसा मिर्च को देख थोड़ा सकपकाया द्धेष....ईर्ष्या…घृणा…क्रोध इत्यादि का त्याग तुरंत मष्तिष्क में आया... अंत में पास में रखे चीनी के डब्बे से जीवन में मिठास घोलने की प्रेरणा लेकर रसोईघर से बाहर आया ... धन्यवाद उस मसाले के डब्बे का जिसने मौन रह कर भी बहुमूल्य पाठ पढ़ाया।