“रामभरोस भारतीय “ न्यायालय ( कहानी- प्रथम क़िश्त)
राम भरोसे भारतीय पिछले 25 वर्षों से न्यायालय का चक्कर लगा रहे है, अपनी ज़मीन को नगर निगम दुर्ग से वापस पाने के लिए। हुआ यूं कि रामभरोसे की 5 एकड़ ज़मीन दुर्ग शहर के आउटर में थी । जिसमें पानी की उपलब्धता नहीं होने के कारण रामभरोसे उस ज़मीन से सिर्फ़ बरसात में फ़सल ले पाते थे बाक़ी लगभग 7/ 8 महीने वह ज़मीन बिल्कुल खाली पड़ी रहती थी । धान की फ़सल काटने के बाद रामभरोसे उधर जाता भी नहीं था जब तक अगली बरसात का मौसम न आ जाये । एक साल रामभरोसे भारतीय धान की फ़सल काटने के बाद परिवार सहित चारों धाम की यात्रा में निकल पड़ा । उनकी यह यात्रा लगभग 4 महीनों तक चली । उधर जैसे ही रामभरोसे की खेत खाली हुआ नगर निगम ने वहां एक बगीचा बनवाना प्रारंभ कर दिया । जो लगभग 3 महीनों में तैयार हो गया और शहर के लोग वहां तफ़रीह हेतु सुबह शाम जाने भी लगे । 4 महीनों बाद रामभरोसे अपनी पत्नी के साथ वापस आये। मोतीपारा में उनका छोटा सा घर था अपने परिवार में वे 2 ही प्राणी थे । 4/5 दिनों बाद रामभरोसे को पता चला कि उसके पुलगांव स्थित 5 एकड़ ज़मीन पर नगर निगम दुर्ग ने एक बगीचा बनवा कर पब्लिक के उपयोग के लिए प्रारंभ कर दिया है । जब यह बात वह किसी पहचान वाले से सुनी तो सिर से पांव तक वह कांप गया । इसी एक ज़मीन के भरोसे तो उसकी और उसकी पत्नी की जीविका चलती थी । दोनों की उम्र लगभग 60 बरस हो चुकी थी व भगवान से उन्हें बच्चे का वरदान न मिल पाया था । रामभरोसे, अपने पड़ोसी होशियार सिंग से एक आपत्ति पत्र लिखवा कर निगम के कमिशनर आफ़िस में जमा करवा कर उसकी पावती भी ले ली । कमिशनर ने उस आपत्ति पत्र को पढा और रद्दी की टोकरी में डलवा दिया ।
उधर बगीचा पब्लिक के लिए प्रारंभ तो था ही । पर वहां अब भी कुछ काम चल ही रहा था । बच्चों के लिए झूला व अन्य खेल कूद के उपकरण लगते जा रहे थे । साथ ही वहां एक स्विमिंग पुल भी तैयार करवाया जा रहा था । बगीचे में प्रवेश शुल्क भी 1 रुपिये निर्धारित कर दी गई थी । आसपास ले लोग बड़े ही उत्साह से बगीचे में घूमने का आनंद उठाने लग गये थे ।
रामभरोसे भारतीय लगभग रोज़ ही निगम आफ़िस का चक्कर लगाने लगा था । वह निगम के लगभग सारे अधिकारियों से मिल कर अपनी व्यथा सुना चुका था कि एक प्राइवेट प्रापर्टी को निगम बिना कानूनी रुप से अधिग्रहित किये कैसे कब्ज़े में ले सकता है ? यह तो पूर्ण रुप से गैर कानूनी कृत्य है । अपने इस कृत्य को निगम जल्द से जल्द सुधारे । निगम के अधिकांश अधिकारी उसे यही जवाब देते कि ऐसा हो नहीं सकता । निगम ने अपनी ही ज़मीन पर बगीचा बनवाया होगा । फिर भी अगर आप कहते हैं तो राजस्व विभाग से जांच करवा लेते हैं । सही और ग़लत का पता चल जायेगा ।
( क्रमशः)