“रामभरोस भारतीय “ न्यायालय ( तीसरी क़िश्त)
( अब तक ---रामभरोसे जब दस दिनों बाद जब वह दुर्ग वापसा आया और निगम से स्वीकार की हुई अपनी ज़मीन पर बीज बोने के लिए गया तो । उसने देखा कि उस ज़मीन पर एक बोर्ड लगा है जिस पर लिखा है यह ज़मीन “हाउसिंग बोर्ड दुर्ग की ज़मीन है।।)
यहां पर हाउसिंग बोर्ड जल्दही निर्माण प्रारंभ करने जा रही है । वहां पर कुछ गड्ढे भी खुद गये थे । ये सब देखकर रामभरोसे के माथा फिर गया । वह अपने साथी को लेकर हाउसिंग बोर्ड आफ़िस पहुंचा वहां उसे पता चला कि उपरोक्त ज़मीन को हाउसिंग बोर्ड 20 वर्ष पूर्व ही नगर निगम दुर्ग से खरीद चुका है । हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी ने रामभरोसे को उस ज़मीन के तमाम पेपर्स भी दिखाये ।रामभरोसे को काटो तो खून नहीं । वह फिर न्यायालय की शरण में गया । न्यायालय ने निर्णय दिया कि आज की तारीख में रामभरोसे की ज़मीन को लौटाना अव्यावहारिक नज़र आ रहा है । अत: उसे मुआवज़ा दिया जाना ही उचित होगा । मुआवज़े के नाम से हाउसिंग बोर्ड व नगर निगम दोनों ने हाथ खड़े कर दिये । दोनों ज़िम्मेदारी एक दूजे के पाले में डालने लगे ।
अत: अब रामभरोसे को हाई कोर्ट जाना पड़ा । वहां से भी जब मुआवज़े की समस्या का सार्थक हल नहीं निकल पाया तो रामभरोसे को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा । इस तरह 2 वर्ष और खर्च हो गये । रामभरोसे की जितना भी पैसा था खत्म हो चुका था । उसे इधर उधर से कर्ज़ भी लेना पड़ रहा था ।
सुप्रीम कोर्ट ने पता नहीं क्यूं रामभरोसे के केस को कुछ जल्द ही सुनवाई में ले लिया । कोर्ट का निर्ण्य रामभरोसे के पक्ष में आया । पर विभिन्न जटिलता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट कुछ विशेष फ़ैसला देना चाह रहा था । उसके लिए राम भरोसे कि सहमति ज़रूरी थी । न्यायालय ने पाया कि रामभरोसे की उम्र 85 वर्ष हो गई है और उसके न कोई औलाद है न ही कोई अन्य नजदीकी रिश्तेदार । अत: कोर्ट ने रामभरोसे से पूछा कि क्या तुम्हें 10 हज़ार रुपिए हर महीनेगुज़ारा भत्ता के रुप में अपने जीवन काल तक प्राप्त करना मंज़ूर होगा । साथ ही यह भता हर वर्ष महंगाई के अनुरूप बढता भी जायेगा । आप स्वीकार करो तो हम आदेश निकालते हैं पर इस आदेश को लागू करने की एक शर्त यह भी होगी कि तुम्हें अपनी ज़मीन को नगर निगम या हाउसिंग बोर्ड को कानूनी रुप से दान देनी होगी । नगर निगाम दुर्ग या हाउसिंग बोर्ड जिसके भी नाम से आपकी ज़मीन की जायेगी , किसी भी महीने इस आदेश का पालन न कर पायेगा तो उनके चीफ़ को जेल जाना होगा साथ ही उनकी प्रापर्टी कुर्क करके आपके ज़मीन की पुरी कीमत उस दिन के भाव से हम दिलायेंगे । तुम हां कहो तो सारे कानूनी कागज़ात तैयार करवा दें । ज़ंमीन दान देने के नाम से तुम्हें चिन्ता करने की ज़रूरत नहीं क्यूंकि तुम्हारे जीवन काल तक तुम्हारी आर्थिक रक्षा की ज़िम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट की ही रहेगी ।
सारी बातें सुनने के बाद रामभरोसे ने कोर्ट से यह कहते हुए समय मांगा कि मुझे सोचने के लिए कुछ समय दीजिये । तब कोर्ट ने रामभरोसे को 1 महीने का समय देते हुए कहा कि आप जो भी निर्णय लेते हैं 30 दिनों के अंदर हमें बता दीजिये ।
( क्रमशः)