तितली की संघर्ष की कहानी
एक समय की बात है चिंटू अपने मम्मी पापा के साथ घर से कुछ ही दूरी पर स्थित एक बगीचे में घूमने गया था। बगीचे में लगे तरह-तरह के फूल-पौधे मन को सकून देते थे। जैसे वे फूल-पौधे मन को मोहित करते थे, वैसे ही पक्षियों को भी आकर्षित करते थे। बगीचे में हर तरह की रंगीन तितलियाँ भी यहां वहां उड़ती हुई नजर आती थी।
चिंटू बगीचे में खेलने में मग्न था। तभी उसकी नजर एक खूबसूरत तितली पर गई, जो एक पौधे के इर्दगिर्द उड़ रही थी। उसी पौधे के एक टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून(तितली का अंडा , जिससे उसके बच्चे निकलते है) चिंटू को दिखाई दिया। वह उस कोकून को देखकर अचंभित हुआ और उस कोकून के पास जाकर बैठ गया। कुछ समय तक उस कोकून को देखता रहा, क्योंकि एक तितली अपने शरीर को उस छोटे से छेद से निकालने के लिए संघर्ष कर रही थी। चिंटू बहुत ही ध्यान से देख रहा था, क्योंकि उसे तितली को देखकर मजा आ रहा था।
वह तितली बहुत ही संघर्ष कर रही थी, पर वह कोकून से बाहर नहीं निकल पा रही थी। अंडे से बाहर आने के लिए बहुत संघर्ष करने के बाद कुछ समय के लिए वह शांत हो गई। तितली को शांत देखकर चिंटू विचार में पड़ गया, वह सोचने लगा कि, शायद वह कोकून में अटक गई हैं इसलिए बाहर नहीं निकल पा रही हैं। उसे लगा तितली की मदद करनी चाहिए।
चिंटू ने किसी चिज से कोकून के छोटे छेद को बड़ा कर दिया। और वह तितली आसानी से बाहर आ गई। हालाँकि उसका शरीर सूजा हुआ और पंख छोटे और सिकुड़े हुए थे। तितली के कोकून से बाहर आते ही चिंटू बहुत खुश हुआ, क्योंकि उसे लगता था कि, उसने तितली की मदद कर के अच्छा काम किया है। तितली अंडे से बाहर आ तो गई पर वह उड़ नहीं पा रही थी। काफी समय हो गया पर तितली के न उड़ने से चिंटू गहरे
सोच मे पड़ गया।चिंटू ने अपनी मां को बुलाकर यह सारा वाक्य बताया। तब मां ने चिंटू को समझाया, "बेटा तुमने इस तितली के साथ बहुत ही गलत किया है। वह अब कभी उड़ नहीं पाएगी। ऐसे ही रेंगते हुए अपना जीवन व्यतीत करेगी।" यह बात सुनकर चिंटू ने अपनी मां से पुछा, पर क्यों? तब चिंटू की मां ने उसे समझाते हुए बताया, तितली का कोकून से बाहर आने का यह तरिका प्राकृतिक हैं। जब तितली कोकून के झिल्ली से बाहर आने के लिए संघर्ष करती हैं, तब उसके पंख मजबूत हो जाते हैं। जब वह संघर्ष करती हैं तब उसके शरीर से तरल पदार्थ उसके पंखों में आता हैं, जो उसे उड़ने के लिए तैयार करता है। और वह आसानी से उड़ सकती हैं। लेकिन अगर वह कोकून से बाहर आने के लिए संघर्ष ही नहीं करेगी तो उड़ेगी कैसे? मां की ये बातें सुनकर चिंटू को बहुत दुःख हुआ, लेकिन चिंटू अब यह जान चूका था की जीवन में संघर्ष करना बहुत ही जरूरी है। नहीं तो आदमी कमजोर हो जाता है, और जीवन में आगे नहीं बढ़ पाता है।
कहानी का सीख
इस कहानी से यह सीख मिलती हैं कि, जीवन में संघर्ष ही हमारी ताकत को विकसित करते हैं। संघर्षों के बिना, हम कभी विकसित नहीं होते हैं और कभी मजबूत नहीं बन
पाते हैं। इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम स्वयं चुनौतियों का सामना करें, और दूसरों की मदद पर निर्भर न रहें।
जब हम संघर्ष करते हैं, तभी हमें अपने बल व सामर्थ्य का पता चलता है। संघर्ष करने से ही हमें आगे बढ़ने का हौसला, आत्मविश्वास मिलता है। और अंततः हम अपनी मंजिल को हासिल कर लेते हैं।
आशा करते हैं, तितली की यह संघर्ष की कहानी आपको जीवन में आगे बढ़ने के लिए मददगार साबित होगी। तो संघर्ष को लेकर आपकी राय जरूर कमेंट करें।
सोच में पड़ गया।