ये क़िताब मेरी कविताओं का संकलन है। झांकी है स्त्री मन की,समसामयिक घटनाओं पे मेरे विचार है जो उकेरे गए है कविता के रूप में ।आशा है कि आपको ये पसंद आएगी🙏
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<p>सोचो एक दिन सोये और नींद खुले अपने कॉलेज के हॉस्टल में होते शोर से</p> <p>खोलें जब दरवाज़ा,जाते हु
<p>इस करवाचौथ का वृतान्त सुनो मित्रों-</p> <p>इधर चल रही थी करवा की तैयारी,</p> <p>उधर भारत पाकिस्ता
<p>एक दिन यूँही गुज़रना हुआ,नदी के किनारे से।आवाज़ कुछ सुनाई दी नदी किनारे से। पास कुछ जाना हुआ तो पान
<div><span style="font-size: 16px;">अक्सर मैंने जोरदार ज़नानी आवाज़ों के पीछे का</span></div><div><spa
<p>छाती पे तमगे देख के जिसके भूतल हिल जाता था।</p> <p>सो रहा है वो शेर देखो, देश सत-सत शीश नमाता है।
जीवन में मंथराओ का आना,आप में भरत-सा स्नेह लाता है।जीवन में मंथराओ का आना,आप में लक्ष्मण सा साथ लाता है।जीवन में मंथराओं का आना,आप में सीता सा विश्वास लाता है।जीवन में मंथराओ का आना,आप को कुछ पल का शो
स्वतंत्र देश को एक सूत्र में पिरोया ,जब आंबेडकर ने संविधान संजोया।जाति,धर्म, वेशभूष को छोड़,भारत गणतंत्र बन पाया,जब 26 जनवरी 1950 को,गणतंत्र संज्ञान में आया।गणतंत्र की महिमा गाता हर इंसान है,हर्ष से ब