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सिसकती नदी

10 नवम्बर 2021

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एक दिन यूँही गुज़रना हुआ,नदी के किनारे से।आवाज़ कुछ सुनाई दी नदी किनारे से। पास कुछ जाना हुआ तो पानी से आवाज़ अति थी।बोली नदी रुंधे गले से,डाला हर प्रकार का कचरा तुमने मुझ में मैं कुछ न बोली।गिराने लगे केमिकल मैं कुछ न बोली,कभी कभी तुम आकर भाषणों में मेरा नाम ले जाते।मुझे लगा शायद सफाई की सौग़ात हो दे जाते।अब तो तुमने हद कर दी जहरीले झागों से मुझे है भर डाला,लड़े हो सब और बदलते हो पला ।बोलते हो मैंने नहीं उसने है डाला।लड़ के भगवान से लाई थी पुरखों ने नदियां तुमने उन्ही नदियों का विनाश है कर डाला।सोचते हो की मेरा क्या जाता है मेरे घर में तो आ.रो.का पानी आता है।मतिभ्रमित मुढ़ हो तुम चक्र पढ़ा है तुमने प्रकृति का अगर तो खा रहे हो जो तुम खाना उसही में मिला है ये पानी झगवाला।नदी से सिंचाई की है जाती और फिर घूम कर फेकी तुम्हारी गंदगी तुम्हारे पास है आती।अब न मैं कुछ बोलूंगी,तुम खुद ही आओगे एक दिन पर अफ़सोस तब तुम कुछ न कर पाओगे।

तबसे चिंतित मैं सोचती हूँ हाय ये क्या कर डाला।पानी के लिए आ.रो. हवा के  लिए ए.सी. लगवा के।पत्थर के जानवर बनवाते असली को भागवा के।किस मुँह से खुद को सब से बुद्धजीवी प्राणी धरती का हम कहलाते।

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Behtreen rachana 👌👌

24 नवम्बर 2021

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

बहुत अच्छा

20 नवम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

23 नवम्बर 2021

धन्यवाद दिनेश जी🙏

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रचनाएँ
अनीता की कविता डायरी
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ये क़िताब मेरी कविताओं का संकलन है। झांकी है स्त्री मन की,समसामयिक घटनाओं पे मेरे विचार है जो उकेरे गए है कविता के रूप में ।आशा है कि आपको ये पसंद आएगी🙏
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सोचों एक दिन नींद खुले।

11 सितम्बर 2021
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<p>सोचो एक दिन सोये और नींद खुले अपने कॉलेज के हॉस्टल में होते शोर से</p> <p>खोलें जब दरवाज़ा,जाते हु

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करवा और भारत-पाकिस्तान मैच

26 अक्टूबर 2021
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<p>इस करवाचौथ का वृतान्त सुनो मित्रों-</p> <p>इधर चल रही थी करवा की तैयारी,</p> <p>उधर भारत पाकिस्ता

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सिसकती नदी

10 नवम्बर 2021
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<p>एक दिन यूँही गुज़रना हुआ,नदी के किनारे से।आवाज़ कुछ सुनाई दी नदी किनारे से। पास कुछ जाना हुआ तो पान

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औरत का दर्द

23 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">अक्सर मैंने जोरदार ज़नानी आवाज़ों के पीछे का</span></div><div><spa

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औरत का दर्द

23 नवम्बर 2021
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नमन है तुम्हे हिन्द के वीर

10 दिसम्बर 2021
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<p>छाती पे तमगे देख के जिसके भूतल हिल जाता था।</p> <p>सो रहा है वो शेर देखो, देश सत-सत शीश नमाता है।

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मंथरा का आना

7 जनवरी 2022
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जीवन में मंथराओ का आना,आप में भरत-सा स्नेह लाता है।जीवन में मंथराओ का आना,आप में लक्ष्मण सा साथ लाता है।जीवन में मंथराओं का आना,आप में सीता सा विश्वास लाता है।जीवन में मंथराओ का आना,आप को कुछ पल का शो

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गणतंत्र दिवस

25 जनवरी 2022
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स्वतंत्र देश को एक सूत्र में पिरोया ,जब आंबेडकर ने संविधान संजोया।जाति,धर्म, वेशभूष को छोड़,भारत गणतंत्र बन पाया,जब 26 जनवरी 1950 को,गणतंत्र संज्ञान में आया।गणतंत्र की महिमा गाता हर इंसान है,हर्ष से ब

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