छाती पे तमगे देख के जिसके भूतल हिल जाता था।
सो रहा है वो शेर देखो, देश सत-सत शीश नमाता है।
मरते नहीं है हिन्द के वीर,वीरगति को पाते है।
सच कहते है,ऐसे योद्धा सदियों में आते हैं।
खुद के लिए तो सभी जीते हैं सैनिक सबके लिए जी जाते है।
जना किसी शेरनी ने था वो शावक जो आज बब्बर शेर बना।
चला है जब वो प्रस्थान को तो देखो हाथ नमाये देश खड़ा।
छोड़ प्रिय को जो शेर गए है धरती माँ भी रोती है।
लाल मेरा अमर रहे ये उदघोष देती है।